
मजबूत हौसले और लक्ष्य तय कर बुलंदियों को छुआ
- आशुतोष कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ बिहार
- Aug 17, 2022
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राजीव पांडेय
रामगढ़ कैमूर ।। होनहार बिरवान के होत चिकने पात....! इस कहावत को चरितार्थ करते हुए यह सिद्ध कर दिखाया बिहार से कैमूर ज़िला के रामगढ़ प्रखंड अंतर्गत डरवन ग्राम के रहने वाले स्व. केशव प्रसाद गुप्ता के पुत्र उमेश गुप्ता जिन्हें अब डॉक्टर की उपाधि से नवाजा गया है जिन्हे लोग अब डॉ उमेश गुप्ता के नाम से जानेंगे।
डॉ उमेश गुप्ता की जिंदगी में तमाम कठिनाइयों का सामना और डगमगाती हुई आर्थिक अर्थव्यवस्था के बावजूद भी अपने लक्ष्य को अंजाम तक देने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे और तमाम मुश्किलों को पीछे पछाड़ते हुए आज शिक्षा शास्त्र में शोधकर्ता बन अपने ही नहीं पूरे कैमूर का मान सम्मान को बढ़ाया।
डॉ. उमेश गुप्ता ने बीएचयू वाराणसी के शोध निर्देशिका प्रोफेसर मधु कुशवाहा के निर्देशन में 'माध्यमिक शिक्षा में नामांकन के सामाजिक निर्धारक एवं अदृश्य लागत : बिहार के कैमूर जिले के संदर्भ में' अपना शोध कार्य पूर्ण किया है।
डाक्टर उमेश द्वारा पूर्व में 3 शोध पत्र NCERT द्वारा प्रकाशित हो चुका है।
डॉक्टर बनने से पहले उमेश ने stet परीक्षा उत्तीर्ण कर +2हाई स्कूल मचखिया,दुर्गावती मे बतौर शिक्षक योगदान दिया। शिक्षण कार्य अवधि मे ही इन्होंने बीएचयू पीएचडी इंटरेंस परीक्षा उत्तीर्ण कर ली।रेगुलर कोर्स होने के कारण ये विद्यालय (नियोजन इकाई) से तीन वर्ष का अध्ययन अवकाश लेकर अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी की।
डॉक्टर की उपाधि धारण करने के बाद इन्होंने बीपीएससी की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर लिया है । जल्द ही इनको प्रिंसिपल के पद से जाना जाएगा।
पारिवारिक स्थिति एवं पूर्व की शिक्षा :- बहुत ही गरीब घर से संबंध रखने वाले उमेश चार भाइयों मे सबसे छोटे हैं।इनके तीनों भाई आज भी चाय,नाश्ता की दुकान चलाते हैं। एक भाई अशोक गुप्ता रामगढ़ मे, एवं दो भाई ओशियर गुप्ता एवं गुड्डू गुप्ता गांव मे ही चाय , नाश्ता की दुकान चलाते हैं। पिता की मौत हुए लगभग 15वर्ष से ऊपर हो गया होगा।पिता की मौत के बाद भाइयों ने पढ़ाई मे आर्थिक मदद देने का कार्य किया।
गरीबी के कारण ही इन्होंने 2001मे उच्च विद्यालय रामगढ़ से प्रथम श्रेणी से मैट्रिक पास करने के बाद राधा कृष्ण गुप्त आदर्श इंटर कॉलेज दिलदार नगर से इंटरमेडियट करने का काम किया।वहां भी इन्होंने प्रथम श्रेणी प्राप्त किया।
इंटर पास कर ये उच्च शिक्षा हेतु वाराणसी आए । यहां आकर इन्होंने बीए, बीएड , एम ए की पढ़ाई पूरी की अपना पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए इन्होंने बच्चों को ट्यूशन देने का कार्य किया।
उमेश को मिले इस उपाधि से गांव और क्षेत्र में एक नया आयाम हासिल हुआ है जिसको लेकर लोगों में काफी हर्ष का माहौल बना हुआ है । लोगों का कहना है कि गरीबी भी हौसलों एवं इनके पीएचडी करने के लक्ष्य को नही रोक पाई।
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