मुखरांव गांव में दो पक्षों में हुए विवाद को लेकर परशुराम सेना के करणी अध्यक्ष ने कैमूर एसपी को सौंपा ज्ञापन

संवाददाता-: अमित कुमार गुप्ता


भभुआ, कैमूर ।। विगत शनिवार को नुआंव प्रखण्ड अंतर्गत कुछिला थाना क्षेत्र अंतर्गत मुखरांव गांव में हुई हिंसक घटनाओं को लेकर असमाजिक तत्वों द्वारा हनुमान मंदिर व विश्वकर्मा मंदिर को क्षतिग्रस्त करने का मामला प्रकाश में आया था, जिसको लेकर सोमवार को परशुराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद तिवारी ने कैमूर पुलिस अधीक्षक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत असमाजिक तत्वों पर कारवाई करने को लेकर ज्ञापन सौंपा है। जहां परशुराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद तिवारी ने आवेदन में कहा है कि नुआंव प्रखण्ड अंतर्गत मुखरांव गांव में सार्वजनिक तालाब के किनारे स्थित विश्वकर्मा मंदिर एवं हनुमान मंदिर को गांव के ही एससी-एसटी के असमाजिक तत्वों द्वारा क्षतिग्रस्त किया गया है जिसको लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही हो, कुछ बातें हम लोग आपको स्पष्ट कर देना चाहते है कि जो सार्वजनिक तालाब सैकड़ों साल पहले अस्तित्व में आया, उसी समय से वहां पर भगवान विश्वकर्मा मंदिर एवं हनुमान मंदिर के अंदर मूर्ति स्वरूप की पूजा होती रही है।

भारत में ऐसी मान्यता रही है कि जहां भी लोग स्नान करते है वहां पूजन करते है, इसी उद्देश्य से जब वह सार्वजनिक तालाब निर्मित हुआ होगा, तो स्नान के बाद पूजा के लिए भगवान हनुमान व विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति स्थापित की गई होगी। यह भी ध्यान देने का विषय है कि जब तालाब का निर्माण किया गया होगा। उस समय यह जमीन सर्वसाधारण जमीन नहीं थी, उस समय जमींदारी प्रथा थी, और जिन लोगों ने तालाब बनवाया होगा वह उस समय उन लोगों की निजी संपत्ति थी। फिर भी आजादी के बाद जिसने भी तालाब-कुंआ इत्यादि का निर्माण निजी स्तर पर किया गया था, उन सब का सरकारीकरण किया गया, जबकि असमाजिक तत्वों द्वारा यह कहा जा रहा है कि तालाब के किनारे बने मंदिर सरकारी जमीन पर बनी है। वह सरासर गलत है। यह आजादी से पूर्व का तालाब है और आजादी से पहले की वहां पर मूर्ति स्थापित है। ऐसे में जो असमाजिक तत्व है, इस बात की बेतुकी मांग कर रहे है कि वहां पर विश्वकर्मा मंदिर और हनुमान मंदिर हटाया जाए और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित की जाए। अध्यक्ष ने कहा कि उन लोगों को शायद यह नहीं मालूम है कि जितना पुराना अस्तित्व तालाब का है, उतना पुराना दोनों मंदिर का भी है। विधित है कि जिन असमाजिक तत्वों ने मंदिर को क्षतिग्रस्त पहुंचाया है, वो ईसाई और बौद्ध धर्म में अपना धर्म परिवर्तन कर चुके है। इसलिए उनकी आस्था सनातन धर्म में नहीं है, ये लोग आरक्षण का लाभ लेने के लिए हिंदू कागजों में मात्र बने है। जबकि इन्होंने व्यवहारिक रूप से धर्मांतरण कर लिया है। अतः इस बात की जांच हो कि इनके धर्मांतरण के पीछे कारण क्या है? और क्यों न धर्मांतरण के बाद इनका एससी-एसटी एक्ट का सर्टिफिकेट रद्द कर दिया जाए? क्योंकि यह कही न कही हिंदू समाज के दलित भाइयों का हकमारी कर रहे है। और यही कारण रहा कि उन्होंने सनातन धर्म पर कुठारापात किया है और उनके इस कुकृत्य के कारण दो धर्मों के बीच टकराव उत्पन्न हुआ है, समाज में अशांति बढ़ी है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता है। अतः आपसे निवेदन है कि इन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कारवाई की जाएं, अगर अगले एक हफ्ते के अंदर इन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही नहीं हुई तो कैमूर जिलें के सभी हिंदूवादी संगठन जिला मुख्यालय पर आमरण अनशन शुरु करेंगे।

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