सड़क बना जलाशय लगा कीचड़ का अंबार ग्रामीण परेशान यह कैसा है स्वच्छता अभियान


इंजीनियर का कमाल सड़क से डेढ़ फीट ऊपर हो रहा नाली का निर्माण


जिला संवाददाता कुमार चन्द्र भुषण तिवारी की रिपोर्ट

कैमूर ।। जिला के कुदरा प्रखंड अंतर्गत देवराढ़ कलां खुर्द पंचायत के नसेज गांव सड़क बना जलाशय लगा कीचड़ का अंबार ग्रामीण परेशान, यह कैसा है स्वच्छता अभियान। आपको बताते चलें कि भारत सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान के नाम शहर से लेकर गांव तक साफ सफाई के लिए अरबों रूपए खर्च किया जा रहा है। इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्रियों के साथ ही प्रदेश व जिला के राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं द्वारा रंगा सियार बनकर, फावड़ा(फरसा) झाड़ू लेकर  शहर शहर गांव गांव मोहल्ले में अपनी राजनीति को मजबूत करने के लिए फोटो खिंचवा कर, वीडियो बनवाकर सोशल मीडिया सहित प्रिंट मीडिया‌ व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भी नायक बनने का कोशिश किया गया। पर धरातल पर उतर कर देखा जाए तो यह सभी नायक नहीं खलनायक है।

ऐसे तो प्रदेश व देश में देखा जाए तो लाखों गांव में ऐसी स्थिति देखने को मिलेगा। पर अभी हम जिला के कुदरा प्रखंड अंतर्गत देवराढ़ कलां खुर्द पंचायत के नसेज गांव के संदर्भ में लिख रहे हैं। बहुत से अधर्मीयों के द्वारा सुनने को मिलता हैं, की मनु वादियों के द्वारा जो भी कुछ किया गया है वह गलत है। पर ऐसी अवधारणा वालों के विपरीत पहले तो यह सत्य था और आज भी है। नसेज इस शब्द का अगर व्याख्या किया जाए तो जिसका कोई सांज सिंगार ना हो वह है नसेज। और इस गांव की स्थिति अगर देखा जाए तो पूर्व में जो था आज भी है। अगर स्थल पर जाकर देखा जाए तो बारिश के लिए किसान तड़प रहा है, वह अपने भगवान को याद कर रहा है, कि भगवान किसी तरह भी पानी दो। इस गांव के किसान भी अपने भगवान से पानी की मांग कर रहे हैं, बार-बार एक दूसरे से लोग जिज्ञासा बस कह रहें है, भगवान क्या करेंगे? पर इतनी सी बारिश जिससे कि किसान खुशहाल नहीं है। मात्र उसकी वजह से गांव की मुख्य सड़क जलाशय का रूप धारण कर लिया है ,आसपास कीचड़ की अंबार लगी हुई है। लोग जमा पानी में उतरने को विवश है, जिससे कि किसी भी तरह का रोग उत्पन्न हो सकता है।

इतना ही नहीं जिस समय डेंगू रोग महामारी बना हुआ था, उसमें सरकार द्वारा प्रचार-प्रसार कराया गया, कि गांवों में घरों में यानी जहां बस्ती हो वहां आसपास के साथ ही कुछ दूरी तक जलजमाव नहीं होना चाहिए, स्वच्छता अभियान चलाया गया। जिसके तहत बहुत सारे पैसे देशवासियों की गाढ़ी कमाई इस पर खर्च किया गया, पर आज भी देखा जाए तो अनेकों ऐसी बस्ती गांव व  शहर में देखने को मिलेगा जहां की जलजमाव की स्थिति कचरे का अंबार लगा हुआ मिलेगा। और यह सभी का मानना है, डॉक्टरों का भी मानना है, संशोधन कर्ताओं का भी मानना है, किचड़ और जलजमाव से अनेकों तरह की रोग उत्पन्न हो सकता है। पर इस देश के लगभग ढ़ाई  हजार मतदाताओं की संख्या वाले गांव में थोड़ी सी बारिश में अपने सड़क को तालाब के रूप में पाया जाता है। हां इसमें कसूर सिर्फ पदाधिकारियों का ही नहीं बल्कि ग्राम वासियों का भी है? कि सिर्फ आप अपने स्वार्थ देख रहे हैं। कुछ लोगों के द्वारा इसे उचित बताते हुए निर्माण कार्य का समर्थन कर कार्य को आगे बढ़ाया गया है।  यदि इस स्थिति को निस्वार्थ भाव से देखा जाए तो लगभग, तथाकथित नेतृत्व कर्ताओं की मानसिकता नीजी भाव है।

लोगों के द्वारा अपनी परेशानियों को बताते हुए, बहुत ही अफसोस व्यक्त किया गया। मीडिया के माध्यम से ग्राम वासियों द्वारा कैमूर जिला शासन से गुहार लगाया गया। ग्राम वासियों की माने तो चुनाव के समय यह गांव जनप्रतिनिधियों को बहुत प्यारा लगता है, पर चुनाव जीतने के बाद वह सभी भूल जाते हैं, कि नसेज गांव भी कहीं है। ग्राम वासियों ने कहा कि प्रखंड व जिला के पदाधिकारी को पहले भी अनेकों आवेदन दिया जा चुका है। स्थानीय प्रतिनिधियों सहित जिला स्तर के पदाधिकारी भी इस गांव को अनदेखा कर रहे हैं। जिससे कि ग्रामवासी परेशान है। इनके समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार की स्वच्छता अभियान को धरातल पर उतारने की जरूरत है।

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