मनोवांछित वर प्राप्ति एवं वैवाहिक सफलता हेतु करें भगवती कात्यायनी की पूजा------डॉ अमरनाथ उपाध्याय

:- ,श्री काशीविश्वनाथ मंदिर वाराणसी के पुजारी डॉ अमरनाथ उपाध्याय ने बताया....

कैमूर।। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी उपासना पूजा किया था,इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं. ऐसी भी कथा मिलती है कि ये महर्षि कात्यायन के वहाँ पुत्री रूप में उत्पन्न हुई थीं. आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्त सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन इन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था.

मां कात्यायनी का शरीर स्वर्ण के समान चमकीला है. चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी की सवारी सिंह हैं. मां के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में उनका प्रिय पुष्प कमल है. बाकी दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में सुशोभित होते हैं.

यह खास तौर पर विवाह योग्य कन्याओं के लिए विशेष पूजन तथा मनोकामना पूर्ति का दिन माना जाता है. नवरात्र के छठे दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है. योग साधना में आज्ञा चक्र का खास महत्व होता है. जातक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होने के कारण देवी कात्यायनी के दर्शन आसानी से मिलते हैं।

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