नवजात देखभाल- सभी नवजात शिशु का हक़

पटना ।।  “हर नवजात को जन्म के समय समुचित एवं सर्वोत्तम देखभाल का हक़ है. जन्म से लेकर प्रथम माह तथा आगे तक नवजात का हक़ है की उसे किसी तरह की शारीरिक चोट एवं संक्रमण से सुरक्षा मुहैय्या करायी जाये. नवजात को गर्म रखना, स्तनपान एवं सही श्वसन क्रिया पर नजर रखना माँ के साथ सभी की जिम्मेदारी बनती है. नवजात मृत्यु का प्रमुख कारण उक्त बातों का ध्यान न रखना एवं जानकारी न होना है”, उक्त बातें डॉ. बिजय प्रकाश राय, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, शिशु स्वास्थ्य ने बतायी. 

डॉ. राय ने बताया कि नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए जन्म के समय गर्भनाल को शिशु से अलग करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए क्यूंकि नवजात शिशु उसी से सांस लेता रहता है. इसके साथ नवजात को अच्छे तरीके से सूखा रखना, उसकी श्वसन क्रिया पर नजर, स्किन टू स्किन गर्माहट एवं एक जन्म के घंटे के अंदर स्तनपान कराना आवश्यक है. नवजात की संक्रमण से सुरक्षा, किसी भी तरह की समस्या पर नजर और उसका आंकलन कर त्वरित कदम उठाना बहुत जरुरी है. इसमें प्रसव कक्ष में उपस्थित चिकित्सकों एवं नर्सों की भूमिका सबसे अहम् है. 

यह हैं नवजात के मृत्यु के प्रमुख कारण:

डॉ. राय ने बताया कि प्रसव के समय अत्यधिक रक्तस्राव, सेप्टीसिमिया एवं गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य समस्याएँ नवजात एवं उसकी माता के मृत्यु के प्रमुख कारण होते हैं. इसके अतिरिक्त अनीमिया, एचआईवी, समय से पूर्व प्रसव आदि भी नवजात एवं मातृ मृत्यु के प्रमुख कारण होते हैं. उन्होंने बताया कि कम उम्र में लड़कियों का विवाह भी जच्चा और बच्चा दोनों के लिए परेशानियाँ खड़ी करता है. गर्भावस्था के दौरान महिला की समुचित देखभाल करने एवं प्रसव पूर्व की पूरी तैयारी रखने से हर महिला एक सुरक्षित एवं सुखद प्रसव का आनंद ले सकती है. 

नवजात मृत्यु दर में दर्ज की जा रही गिरावट:

डॉ. राय ने बताया कि एसआरएस-2020 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में नवजात मृत्यु दर 27 दर्ज की गयी है जो राष्ट्रीय औसत 28 से कम है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग, बिहार एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत नवजात एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम समुदाय एवं संस्थान स्तर पर चलाये जा रहे हैं. डॉ. राय ने बताया कि वर्ष 2008 में राज्य में 8 एसएनसीयू क्रियाशील थे जिनकी संख्या 2023 में बढ़कर 45 हो गयी है. उन्होंने बताया कि राज्य में अनुमंडल स्तर पर नवजात शिशु स्थिरीकरण इकाई ( एनबीएसयू ) संचालित है. राज्य में 41 अनुमंडल एवं रेफ़रल अस्पताल में नवजात देखभाल की यह व्यवस्था की गयी है.

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