
प्रखंड के तीन सड़के छठवें महीने नष्ट होने की दहलीज पर
- आशुतोष कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ बिहार
- Jan 28, 2024
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आखिरकार सरकारी योजनाओं में गुणवत्ता पर क्यों नहीं ध्यान दे रहे हैं पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि ?
जिला संवाददाता चन्द्र भूषण तिवारी
कैमूर ।। जिला के नुआंव प्रखंड अंतर्गत पिछले एक साल में तीन ऐसी सड़के बनाई गई हैं, जिनमें देखा जाए तो गुणवत्ता संदिग्ध है। एक सड़क तो अभी बिगर 2 सप्ताह पहले ही बनी हुई है।दो अन्य सड़कों का शिलान्यास और उद्घाटन भी हो चुका है। पर उद्घाटन के 6 महीने के भीतर ही देखा जाए तो संभावित समयानुसार सड़क नष्ट होने की दहलीज पर है।पहला मामला जैतपुरा गांव के माइनर क्रमांक दो से काश्यप टोला की सड़क का है, यह सड़क जैतपुरा गांव के दो टोली के बीचोंबीच होते हुए जैतपुरा गांव के मध्य तक आती हैं। यह सड़क कई वर्षों से ग्रामीणों की मांग पर पिछले साल ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा, मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना अंतर्गत बनाई गई है। जिसकी लागत 55 लाख 62 हजार रुपए निर्धारित है। यह सड़क आजादी के बाद पहली बार बनी हैं। इसका उद्घाटन भी 14 जून 2023 को हो चुका है। लेकिन उद्घाटन के 6 महीने के भीतर ही यह सड़क कई जगह टूट चुकी है। कैमूर किसान यूनियन के अध्यक्ष हरिजी सिंह ने कहा कि संवेदक के जिम्मे कार्य की निगरानी की जिम्मेदारी है ? ग्रामीण कार्य विभाग कैमूर के पदाधिकारी सड़क की गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं किए ? जो जनप्रतिनिधि उद्घाटन करने जाते हैं, उन्होंने गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं कराई ? आज जब सड़क निर्माण हो गया, शिलान्यास व उद्घाटन हो गया, उसके बाद निर्धारित समयावधि के प्रतिकूल जब सड़क टूट रही है, तो अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि इस पर कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं, वे लोग कहां हैं ? सरकार के पैसे की लूट की जवाबदेही किसकी है ?
दूसरे सड़क की खराब गुणवत्ता का मामला नुआंव प्रखंड के ही पजरांव वैतरणी पर बने बाईपास सड़क का है। यह सड़क गर्रा चौबे नहर से पजरांव वैतरणी बाईपास होते हुए, उरी हमले में शहीद राकेश कुशवाहा के स्मारक बड्ढ़ा तक आती है। इस सड़क का नाम " गैंरा पिच रोड से मुस्लिम टोला होकर टीओआई " दिया गया है। इस सड़क का निर्माण भी एक साल के भीतर ही हुआ है। पर सड़क की स्थिति देखा जाए तो कई जगहों पर गिट्टी तक उखड़ चुकी है। इस सड़क का लागत मूल्य 2 करोड़, 87 लाख, 26 हजार, 697 रुपया है। कैमूर किसान यूनियन के सचिव अमित राय ने कहा कि हम मानते हैं कि विकास कार्य हो रहा है, लेकिन विकास कार्य की गुणवत्ता से समझौता आखिर क्यों किया जा रहा है। इससे तो यही प्रमाणित होता है, कि विकास कार्य के पैसों में बंदर बांट हो रहा है। जिसका नतीजा है कि सड़क बनने के 6 महीने की भीतर ही निर्माण किस समय अवधि को देखा जाए तो नष्ट होने के दहलीज पर आ चुकी है।इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि और विभाग के पदाधिकारी जिम्मेदार हैं।तीसरी सड़क अभी निर्माणाधीन है। जिसमें दो क्रम में कार्य हो चुका है।जो माइनर नंबर 2 से जैतपुरा पंप कैनाल के पंप हाउस तक जाती है। इस सड़क को भी जैतपुरा पंप कैनाल पर हुए 15 जनवरी 2024 को राष्ट्रीय जनता दल द्वारा आयोजित संगोष्ठी सह दही चूड़ा के कार्यक्रम से मात्र दो दिन पहले बनाया गया,पर गिट्टी उखड़ने लगी है।जस कैमूर किसान यूनियन के युवा सदस्य कारीराम ग्रामवासी विकास सिंह यादव के द्वारा कैमूर किसान यूनियन के सोशल मीडिया व्हाट्सएप ग्रुप पर इस मामले को उठाया, तो संवेदक द्वारा मरम्मत कराने का आश्वासन दिया गया।कैमूर किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य विकास सिंह ने कहा, कि विकास की गुणवत्ता से किये जा रहे समझौतों की परिणाम स्थल पर जनप्रतिनिधि व अधिकारियों की कलई खोल रहा है,ऐसे सभी मामलों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।कैमूर जिले में बन रही सड़कें, आखिरकार बनने के कुछ महीनो के भीतर ही क्यों टूटने लग रही हैं ? सरकार का पैसा है, जनता का पैसा है, निगरानी की जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों की है ? कार्य की गुणवत्ता बनाए रखने की जिम्मेदारी विभाग के पदाधिकारियों की है ? फिर भी सभी लोग अपनी अपनी जिम्मेदारी से क्यों भाग रहे हैं ? अगर पदाधिकारी और जन प्रतिनिधि मौन रहेगें तो,कोई भी विकास कार्य सिर्फ बाली का बकरा बनकर रह जाएगा।कैमूर किसान यूनियन के मोहनियां अनुमंडल के सचिव विशाल सिंह ने कहा कि जिला अधिकारी महोदय ऐसे भ्रष्टाचार पर नकेल कसें, साथ ही आग्रह है कि किसी भी सड़क के उद्घाटन से पहले गुणवत्ता की जांच अनिवार्य रूप से करें।
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