चमकी बुखार के लक्षणों की अनदेखी न करें अभिभावक : सिविल सर्जन


- तेज बुखार व उल्टी के साथ बेहोशी की शिकायत हो सकते है चमकी के लक्षण 

- प्रारंभिक अवस्था में रोग की पहचान व इलाज से ही बचाई जा सकती है जान

बक्सर ।।  जिले में चमकी बुखार (एईएस/मस्तिष्क ज्वर) के संभावित खतरों को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। इसको लेकर डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति सहित स्पेशल वार्ड, दवा के भंडारण के साथ-साथ स्वास्थ्य अधिकारी व संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। ताकि वे किसी भी विशेष परिस्थिति से निपट सकें। सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने तमाम स्वास्थ्य केंद्रों पर ओआरएस के पाउडर व पारासिटामोल की गोली पर्याप्त मात्रा में रखने का निर्देश दिया गया है। ताकि जिले में चमकी के प्रभाव को रोका जा सके। वहीं, चमकी बुखार से बचाव को जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है। साथ ही मेडिकल टीमों को जन जागरूकता व मेडिकल व्यवस्था के साथ तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने जिले के सभी अभिभावकों से गर्मी के दौरान बच्चों की उचित निगरानी करने की सलाह दी है। ताकि, लक्षण दिखने पर अभिभावक लक्षणों की अनदेखी न करते हुए तत्काल इलाज के लिए बच्चों को अस्पताल ले जाएं। जिससे उनकी जान बचाई जा सके।


एक से 15 वर्ष तक के बच्चे होते हैं अधिक प्रभावित :

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि मस्तक ज्वर या चमकी यह एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी से अधिकांश तौर पर एक वर्ष से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चे अधिक प्रभावित होते हैं। ऐसे में इस बीमारी से बचाव की दिशा में अभी से सतर्कता जरूरी है। साथ ही चमकी बुखार के लिए अप्रैल व मई दो माह काफी संवेदनशील होते हैं। इसमें तेज बुखार व उल्टी के साथ बेहोशी की शिकायत चमकी के लक्षण हो सकते है। उन्होंने बताया कि इलाज से संबंधित सभी जरूरी दवाओं का किट जिले के सभी चिकित्सा संस्थानों को उपलब्ध कराया गया है। इससे रोग से संबंधित गंभीर मामले-सामने आने पर जरूरी उपचार के साथ उन्हें तत्काल एंबुलेस उपलब्ध कराते हुए उच्च चिकित्सा संस्थान रेफर किया जा सकेगा।


चमकी बुखार का कुशल प्रबंधन जरूरी :

सदर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर का कुशल प्रबंधन जरूरी है। प्रारंभिक अवस्था में रोग की पहचान व इलाज से जान माल की क्षति बच जाती है। इसको लेकर रोग से संबंधित लक्षण, बचाव व सुमचित इलाज से संबंधित विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने हेतु स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। ताकि रोग से संबंधित मामला सामने आने पर सुविधाजनक तरीके से उनका इलाज हो सके। वैसे पीएचसी सीएचसी को लक्षण दिखते ही सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद रेफर करने का निर्देश दिया गया है।


इन बातों को याद रखना जरूरी

- खिलाओ : बच्चों को रात में सोने से पहले भरपेट खाना जरूर खिलाएं यदि संभव हो तो कुछ मीठा भी खिलाएं। 

- जगाओ : रात के बीच में एवं सुबह उठते ही देखें कि कहीं बच्चा बेहोश या उसे चमकी तो नहीं। 

- अस्पताल ले जाओ : बेहोशी या चमकी देखते ही आशा दीदी को सूचित करें। 

- उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं।


यह सावधानी जरूरी :

- तेज धूप में जाने से बचे 

- दिन में दो बार नहाएं 

- रात में पूरा भोजन करके सोएं 

- लक्षण दिखते ही ओआरएस का घोल या चीनी नमक का घोल पिलाएं।

रिपोर्टर

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