कालाजार प्रभावित इलाकों में नहीं छूटेगा एक भी घर, होगा दवाओं का छिड़काव : सिविल सर्जन


- जिले के जगदीशपुर प्रखंड के सियरुंआ गांव से शुरू हुआ इनडोर रेसिडेंशियल स्प्रे

- छिड़काव के पहले चक्र में तीन गांव और आरा शहरी क्षेत्र के दो इलाकों में चलेगा अभियान

- बोलीं सिविल सर्जन - सभी के सहयोग से जिले में कालाजार मरीजों की संख्या में आ रही है गिरावट 

आरा ।।  | जिले में कालाजार उन्मूलन अभियान को सफल बनाने के लिए इनडोर रेसिडेंशियल स्प्रे (आईआरएस), 2024 के पहले चक्र के तहत दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है। जिससे जिले में कालाजार के प्रभाव को खत्म करने के साथ लोगों को सुरक्षित रखा जा सके। इस दौरान कालाजार प्रभावित इलाकों के घारों में सिंथेटिक पैराथायराइड (एसपी) पाउडर का छिड़काव किया जाएगा। अभियान के तहत जिले के तीन गांव और आरा शहरी क्षेत्र के दो इलाकों के 6581 घरों को लक्षित किया गया है, जिनमें के 18976 कमरे चिह्नित किए गए हैं। इन चयनित कालाजार प्रभावित इलाकों में कुल 38657 लोगों की जनसंख्या रहती है। जिनको कालाजार से बचाने के लिए दो छिड़काव दल गठित किए गए हैं। 

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह प्रभारी जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया कि आईआरएस के लिए माइक्रो प्लान के तहत अभियान चलाया जा रहा है। हर चिह्नित गांव के लिए विशेष अवधि निर्धारित है। ताकि, उक्त गांव के सभी घरों में ठीक से दवाओं का छिड़काव सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने बताया कि छिड़काव के दौरान एक भी घर छूटे नहीं, इसको लेकर छिड़काव टीम को भी आवश्यक और जरूरी निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा छिड़काव अभियान के दौरान सामुदायिक स्तर पर लोगों को कालाजार से बचाव के लिए आवश्यक जानकारी भी दी जा रही। 

भोजपुर जिला में कालाजार नियंत्रित: सीएस

10 हजार की आबादी पर एक मरीज मिलने पर, वह क्षेत्र कालाजार मुक्त माना जाता है। इसलिए, हमारा जिला कालाजार के प्रभाव से नियंत्रण में है। हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों, कर्मियों और लोगों के सहयोग से जिले में कालाजार मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। जिससे हमारा भोजपुर जिला पूर्ण रूप कालाजार मुक्त होने के निकट पहुंच चुका है। इसलिए, संपूर्ण जिला को कालाजार मुक्त बनाने में सभी लोगों का सकारात्मक सहयोग जरूरी है। - डॉ. ईला मिश्रा, सिविल सर्जन, जिला स्वास्थ्य समिति, भोजपुर

लोगों को सतर्क और सावधान रहने की जरूरत : 

वीभीडीसीओ अजीत कुमार पटेल ने बताया कि कालाजार से प्रभावित इलाके में लोग बुखार को अनदेखा नहीं करना चाहिए। जिन इलाकों में कालाजार के मरीज मिलते हैं, वहां एसपी पाउडर का छिड़काव कराया जाता है। ताकि, लोगों को कालाजार की चपेट में आने से बचाया जा सके। उन्होंने बताया, कालाजार के लक्षणों की पहचान होना बहुत जरूरी है। इसका असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। यह परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलता है। इससे ग्रस्त मरीज खासकर गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। रुक-रुक कर बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर में पीलापन और वजन घटना, तिल्ली और लीवर का आकार बढ़ना, त्वचा-सूखी, पतली और होना और बाल झड़ना कालाजार के मुख्य लक्षण हैं। ऐसे में जब किसी में लगातार बुखार के लक्षण दिखाई दें, तो वो तत्काल जाकर उसकी जांच कराएं।

दवाओं के छिड़काव के दौरान लोगों के लिए सुझाव :

- छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें।

- घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अंदरूनी दीवारों पर छः फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं। छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें।

- छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें।

- ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पुताई ना करें, जिसमें कीटनाशक (एसपी) का असर बना रहे।

- अपने क्षेत्र में कीटनाशक छिड़काव की तिथि की जानकारी आशा दीदी से प्राप्त करें।

रिपोर्टर

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