जिले के फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट के साथ मिलेगा विशेष चप्पल


- राज्य मुख्यालय द्वारा उपलब्ध कराया गया किट और चप्पल, प्रखंडों में शुरू हुआ वितरण

- फाइलेरिया से हुए दिव्यांग मरीजों का बन रहा दिव्यांग प्रमाण पत्र, करें आवेदन

आरा ।।  फाइलेरिया उन्मुलन को लेकर जिले में विभिन्न अभियान चलाए जा रहे हैं। यह एक गंभीर बीमारी है। यह नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में आता है। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। इसी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब विभाग द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जरूरी रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता की रोकथाम (एमएमडीपी) किट के साथ विशेष चप्पल का भी वितरण किया जाएगा। इससे हाथीपांव के मरीजों को अपने पैरों की सुरक्षा करने और प्रबंधन में सहूलियत मिलेगी।

इस संबंध में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया कि वर्ष 2024-25 के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से पहले लॉट में 75 एमडीडीपी किट के साथ 75 चप्पल भी उपलब्ध कराए गए हैं। जिनका वितरण शुरू हो चुका है। आगामी दिनों में और भी किट और चप्पल मिलेंगे, जिन्हें सभी प्रखंडों में वितरित किया जाएगा।

दिव्यांगता प्रमाणपत्र के लिए मरीज करें ऑनलाइन आवेदन :

डॉ. केएन सिन्हा ने बताया कि जिले में फाइलेरिया के कारण हुए दिव्यांग मरीजों का प्रमाणपत्र भी बनाया जा रहा है। जिसके लिए उन्हें पोर्टल swavlmbncord.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। मरीज साइबर कैफे या सुविधा केंद्रों में जाकर आवेदन कर सकते हैं। जिसके बाद यूनिक डिसेबिलिटी आइडेंटिटी (यूडीआईडी) कार्ड जेनरेट होता है। साथ ही, उन्हें एक तिथि भी बताई जाती है। जिस दिन वो जिला कलेक्ट्रेट में गुरुवार के दिन मेडिकल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ेगा। बोर्ड के सदस्य हाथीपांव के मरीजों की दिव्यांगता जांच करेंगे। 40 प्रतिशत व उससे अधिक अपंगता होने पर ही उन्हें दिव्यांग प्रमाण पत्र निर्गत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हाथीपांव के मरीज जिन्हें दिव्यांगता प्रमाण पत्र की मदद से राज्य तथा केंद्र सरकार द्वारा दिव्यांगों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ समान रूप से ले सकते हैं। अब तक जिले में डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों का प्रमाण पत्र बन चुका है।

हाथीपांव होने पर उसे चोट या जख्म से बचाना जरूरी :

वीबीडीसीओ अजीत कुमार पटेल ने बताया, फाइलेरिया के कारण हाथीपांव हो जाता है। हाथीपांव होने पर उसे चोट या जख्म से बचाना जरूरी है। इसके लिए एमएमडीपी किट दिया जाता है। हाथीपांव के पीड़ित लोग अपने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर चिकित्सक से इसकी देखभाल की जानकारी ले सकते हैं। हाथीपांव से ग्रसित लोगों के लिए एमएमडीपी किट दिये जाते हैं। किट में हाथीपांव की देखभाल तथा साफ सफाई करने के लिए आवश्यक दवाइयां तथा अन्य वस्तु होते हैं। हालांकि, एमएमडीपी किट और चप्पल केवल हाथीपांव के जरूरतमंद मरीजों को दिया जाएगा। जिसका इस्तेमाल वो अपने पैरों के रखरखाव के लिए कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए आगामी दिनों में सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा। जिसमें आशा कार्यकर्ता घर घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगी। इस दौरान सभी लोग फाइलेरिया से बचाव की दवाओं का सेवन अवश्य करें।

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