जातिवाद और वंशवाद के भवर में फसी भारतीय राजनीति

संवाददाता श्याम सुन्दर पांडेय की रिपोर्ट

दुर्गावती(कैमूर)- इस समय भारतीय राजनीति में जात बाद और वंशवाद तुष्टि करण और धर्म बाद का प्रबल मुद्दा देखने को मिल रहा है जहां विकासवाद शिक्षा बाद योग्यता बाद होना चाहिए था जिसके आधार पर कभी भारत विश्व में अपना परचम लहराया करता था ठीक उल्टे आज जात  बाद वंशवाद की राजनीति ने भारतीय राजनीति को एक अलग दिशा की तरह लेकर जाती हुई नजर आ रही है। भारतीय राजनीतिज्ञ यह सोचते नजर आ रहे हैं कि हम राज किए हमारा बेटा हमारी नाती पीढ़ी पतोहु साला साली यानी  पीढ़ी दर पीढ़ी राज करें इसके लिए देश को भले ही कई टुकड़ों में बाट देना पड़े।आजादी के बाद जात बाद की राजनीति ने भारत को दो टुकड़े में कर डाला फिर भी राजनेताओं का मन  भरा नहीं वही राग और वही धुन लिए लिए आज भी चुनावी जंग में राजनीति करते लोग देखे जा रहे हैं और भारतीय जनमानस आज भी इन रोगों का शिकार बन चुकी है और इन नेताओं के इशारे पर देश और समाज की परवाह के बिना इनके साथ जुटती जा रही है जो देश का दुर्भाग्य है। लोकतंत्र में समानता का अधिकार होने के बाद भी उन्हें जात बाद रूपी अग्नि में उनकी योग्यता को आहुति दे दी जा रही है और उनको आगे भड़काने वाले मुद्दे ज्वलंत रूप में लाकर खड़े कर दिए जाते हैं जिसके भवर में फंसकर जनता अपने अधिकार को भूलकर आपसी मतभेद पाल लेती है यह कैसी विडंबना है। जिस शासन काल में देश की विरासत शिक्षा और समाज की संस्कृति को नष्ट किया गया उस गुलामी के मिटते इतिहास को देखकर जनता को खुश होना चाहिए लेकिन भारतीय राजनीति में बाटो राज करो के सिद्धांत वाले नेता उन्हें फिर भड़का देते हैं जिसकी ज्वाला से समाज कुछ दिनों के लिए अशांत हो जाता है। आज विश्व में अग्रणीय बनने के लिए जात-पात और परिवार बाद से ऊपर उठकर योग्यता को आधार बनाकर सोचने का समय है। क्योंकि विश्व की गति और दिशा जिधर जा रही है उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए ऐसी गंदी राजनीति का त्याग होना परम आवश्यक है तब जाकर भारत आर्थिक स्थिति शैक्षणिक स्थिति और आध्यात्मिक स्थिति से मजबूत होगा और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र में अपनी गिनती करा सकता है । आज चुनाव का समय है ऐसे परिवेश में भारत के शिक्षित और सूझबूझ वाली जनता को चाहिए कि अपना सही निर्णय लेकर भारतीय राजनीति को विश्व के पटल पर एक नई दिशा देने का काम करें।

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