
धर्म संसद और जनार्दन रूपी जनता
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- May 11, 2024
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संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय
दुर्गावती(कैमूर)- संवाददाता की कलम से -आखिरी चरण के मतदान में बिहार के सिमापवर्ती और राज्य से सटे उत्तर प्रदेश के सीमापर सासाराम और बक्सर लोकसभा में प्रत्याशियों ने अपना अपना नामांकन दाखिल किया। भारतीय संसद के लिए होने वाले चुनाव में जो हो हल्ला अभद्रता आंखें मारना फ्किलाईंगकिस करना मेंजो पर चढ़ जाना दस्तावेज फाड़ देने का जो खेल देखने को मिलता है क्या वह खेल करने वाले लोग जनता जनार्दन के द्वारा मत देकर चुने गए नहीं है। क्या भारतीय संसद में जो कुछ हो रहा है वह संवैधानिक मर्यादा और परंपराओं के ढांचे में है। भारत एक धर्म प्रधान देश रहा है और आज भी है। भारत के इतिहास को सुधारना भारत के मूल भावनाओं के लिए काम करना क्या संसद के लिए चुने गए सांसदों की जिम्मेवारी नहीं होती। भारतीय संविधान में बनाए गए कानून का पालन करना मर्यादाओ में रहकर संसद चलाना यह प्रतिनिधियों की जिम्मेवारी नहीं होती। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था राजनीति में धर्म तलवार की भांति लटकी रहेगी और जिस दिन धर्म का विनाश होगा उस दिन राजनीतिक का विनाश होना तय है। क्या संविधान में बनाए गए कानून धर्म के घेरे में नहीं आते और आते हैं तो फिर उसका पालन ये प्रतिनिधि क्यों नहीं करते। सवाल बहुत सारे है लेकिन इन सवालों को पैदा करने वाला भी कौन है इस पर गंभीर विचार करने की जरूरत है या नहीं इसको तो जनता जनार्दन अपने हृदय में झांक कर स्वयं देख सकती है। जनता को भगवान का दर्जा दिया गया है और जनता जब भगवान रूपी सांसद को नहीं चुनती है तो परिणाम तो उसको मिलेगा ही। जिन उम्मीदवारों के पास एक टूटी साइकिल नहीं थी वह आज अरबपति है तो इसके जिम्मेवार आखिरकार है कौन उसे चोर और घोटाले बाज कह देने से काम चल जाएगा। वर्तमान समय में चल रहे चुनाव के परिवेश में साफ सुथरा छवि वाले ईमानदार नेता को मत देकर हमें चुनना चाहिए या नहीं यह किसकी जिम्मेवारी है। देश की राजनीति के ध्रुव और दिशा दशा में हम जनता भी भागीदार है जिसका परिणाम आए दिन हम लोगों को अपने सामने में किसी न किसी रूप में देखने को मिल रहा है। जब हवा और सूर्य का प्रकाश चलता है न तो सबको समान रूप से मिलता है। उसी तरह स्वच्छ राजनीति जब देश की होगी और उसके लिए जब स्वच्छ सांसद का चुनाव हम करेंगे तो भारतीय लोकतंत्र के स्वच्छ वातावरण में अमन चमन से जी सकते हैं। चुनाव आते रहेंगे जाते रहेंगे लेकिन एक बात याद रखना है इतिहास भारतीय जनमानस को कभी क्षमा नहीं करेगा जो हालात पैदा करने के लिए जिम्मेदार है। तो आइए जाती-पाती धर्म संप्रदाय से ऊपर उठकर स्वस्थ लोकतंत्र में भाग लेकर देश के भाग्य का निर्माण करें दोषी नेता नहीं जानता है इस कटु सत्य को स्वीकार करना सीखे।
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