नेताओं की कुंठित मानसिकता पर चर्चा करते युवा मतदाता

संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट 

दुर्गावती(कैमूर)---लोकसभा चुनाव जीत जाने के बाद रामगढ़ विधानसभा से चुनाव जीते सुधाकर सिंह अब बक्सर लोकसभा की कमान संभाल रहे हैं। अब रामगढ़ विधानसभा में होने वाले संभावित चुनाव को लेकर अभी से युवाओं के दिल में एक और चुनाव की याद सता रही हैं। सरकारें बनती रही और बिगड़ती रही लेकिन आज भी शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं को बाहर जाने के सिवा कोई अन्य विकल्प दिखाई नहीं दे रहा है। देश की जात वादी राजनीति और व्यवस्था एक बार फिर नौनिहालो के दिल में और दिमाग में समाज के प्रति एक अलग तौर  और तरीके से नजरिया बदलने के लिए मजबूर कर रही है। जिस देश का संविधान समता का अधिकार देता हो उस देश में जात बाद की बू जाति आधारित सुविधा जाति आधारित नौकरी आने वाली युवा पीढ़ियों को एक अलग मानसिकता को पैदा करने में सहायक सिद्ध हो रही है। रामगढ़ विधानसभा में होने वाले चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों के ऊपर अलग-अलग दृष्टिकोण से युवाओं के द्वारा समीक्षा को देख ऐसा लगता है कि अब भारत का युवा अपने भविष्य के लिए स्वयं जिम्मेदार है और इसके लिए तैयार भी है। देश में चलने वाली खैरात  की योजना खैरात का राशन एक वर्ग को बिल्कुल पंगु बना रहा है और देश के निर्माण कार्य से अलग भटका रहा है। आरक्षण के बैसाखी के सहारे एक वर्ग को पंगु बनाने का जो खेल देश में चल रहा है वह मेक इन इंडिया की मिशन में एक वर्ग के युवाओं को सहभागिता से वंचित कर रहा है। सचमुच सरकार को उन महा दलित और दलित की चिंता होती तो उनके बच्चों को मेक इन इंडिया के तहत तकनीकी शिक्षा देकर सरकार छोटे-मोटे उद्योग उनको हाथों में सौंप देती और उन्हें बाजार उपलब्ध कराती ताकि वे बच्चे भी अपने दैनिक जीवन में उत्थान कर सके। वही बच्चा तकनीकी ज्ञान से जब आगे बढ़ जाता तो देश निर्माण के आगे पहुंच  कर फिर विश्व निर्माण की तरफ अपना कदम बढ़ा मानव के कल्याण में अहम योगदान देता। लेकिन सरकारों को और नेताओं को तो एक ही तरीका दिखाता है खैरात बांटो जात बाद में बाटो आरक्षण की बैसाखी पर चढ़ाकर आगे बढ़ाओ तकनीकी ज्ञान देकर क्या होगा। यदि सचमुच देखा जाए तो इस तरह के राजनीति से सजता  संवरता भारत का भविष्य कैसा होगा और विकास में कितना योगदान देगा देश का युवा और आने वाले भविष्य में देश समाज के निर्माण में देश के एकता के लिए क्या ऐसी राजनीति करना जरूरी है।

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