
नगर विकास मंत्री नितिन नवीन के समक्ष किसान संघर्ष मोर्चा के द्वारा सौपा गया आवेदन
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Jul 08, 2024
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कैमूर-- भभुआं भारत माला परियोजना बनारस रांची टु कोलकाता एक्सप्रेस-वे निर्माण, एन एच 219 सड़क की चौड़ीकरण एवं बाई पास निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में किसानों को कम मिल रहे मुआवजा को लेकर विमलेश पांडेय अध्यक्ष किसान संघर्ष मोर्चा सह जिलाध्यक्ष भाजपा किसान मोर्चा ने कैमूर जिले के प्रभारी मंत्री एवं नगर विकास मंत्री नितिन नवीन से शनिवार को आवास पर मुलाकात कर मांग पत्र सौंपा। अपने लिखित मांग पत्र में जिलाध्यक्ष ने कैमूर जिले के किसानों के साथ हो रहे अन्याय का उल्लेख किया। मांग पत्र में जिलाध्यक्ष ने सरकार पर किसानों के द्वारा पिछले दो सालों से लगातार आंदोलन की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने ने कहा भूमि विवाद एवं कम मुआवजा की समस्याओं को दूर करने के लिए किसानों की मांग पर जिला में आर्बिटेटर बहाल करने के वादे से सरकार पिछे हट रही है । उन्होंने ने प्रभारी मंत्री से आग्रह किया इस जटिल मामले को गंभीरता से लेते हुए उचित पहल करें। जिलाध्यक्ष विमलेश पांडेय ने कहा किसानों के भूमि अधिग्रहण में 2013 सर्किल रेट पर मुआवजा दिया जा रहा है जो बाजार मूल्य से बहुत ही कम है। किसान सड़क निर्माण का विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि उचित मुआवजा की मांग कर रहे हैं। उन्होंने ने प्रभारी मंत्री से कहा उस समय एम एल सी संतोष कुमार सिंह के द्वारा विधान परिषद में उठाए गए सवाल पर मुआवजा एवं सही प्रकृति निर्धारण के लिए तीन महीने विधानसभा समिति गठित करने की मांग को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
विमलेश पांडेय ने प्रभारी मंत्री से कहा सरकार के उपेक्षा पूर्ण रवैया से कैमूर के किसानों में आक्रोश है उन्होंने ने कहा कैमूर जिले में किसानों की भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा एवं सही प्रकृति निर्धारण की मांग नहीं पुरी की गई तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। किसान संघर्ष मोर्चा कैमूर के प्रतिनिधि मंडल में अमित रंजन सिंह विकी सिंह शामिल थे। प्रतिनिधि मंडल ने उचित मुआवजा एवं सही प्रकृति निर्धारण के लिए सभापति अवधेश सिंह को भी ज्ञापन सौंपा। कैमूर जिले में कुल 93 मौजा के सैकड़ों किसानों का 2 हजार एकड़ से अधिक भूमि अधिग्रहण की गई है। भूमि अधिग्रहण करते समय अधिकारियों के द्वारा भूमि की प्रकृति निर्धारण में गड़बड़ी करते हुए बाजार मूल्य से बहुत कम मुआवजा दिया जा रहा है। उचित मुआवजा एवं सही प्रकृति निर्धारण को लेकर किसान पिछले दो सालों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं। बिहार सरकार के द्वारा किसानों के आंदोलन की अनदेखी करने पर किसानों में जबरदस्त गुस्सा है। बिना उचित मुआवजा दिये सड़क निर्माण का प्रयास बिहार सरकार एवं एन एच ई आई के द्वारा शुरू किया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
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