प्राचीन शिवलिंग के पास पत्थरों से ढका नंदी की प्राचीन प्रतिमा को देख लोग हुए हैरान

दूर-दूर से आ रहे दर्शनार्थी

खुदाई के बावजूद भी नहीं मिला अंतिम छोर

ऐतिहासिक तथ्यों पर विचार किया जाए तो औरंगजेब के शासनकाल में इस स्थल को ध्वस्त  करने का किया गया था कार्य

रोहतास-- नगर निगम सासाराम वार्ड क्रमांक 48 शिवपुरी धाम कैमूर पहाड़ी के कोटा घाट में प्राचीन शिवलिंग के पास पत्थरों से ढका नंदी की प्राचीन प्रतिमा को लोग देख हुए हैरान। आपको बताते चलें कि विगत 1 जुलाई दिन सोमवार को जिला के बहुआरा ग्रामवासी 17 वर्षीय युवक श्रीकांत कुमार जो कि  शिवपुरी धाम में अपने दीदी के घर रहकर अध्ययन का कार्य करता है। अपने साथियों के साथ पहाड़ पर घूम रहा था, जिस वक्त उसे एक गुफा दिखाई दिया। युवक जिज्ञासा बस गुफा के अंदर ताक झांक किया तो शिवलिंग दिखाई दिया, युवक द्वारा आसपास के पत्थरों को हटाने के साथ ही पूजन सामग्री लेकर विधिवत पूजा पाठ किया गया था। सोशल मीडिया के माध्यम से प्राचीन शिवलिंग मिलने की सूचना चारों तरफ फैल गया जिसके बाद भगवान शिव के भक्तों का दर्शन हेतु आवागमन प्रारंभ हो गया। कुछ लोगों के द्वारा भ्रमवश आसपास खुदाई भी किया गया था पर शिवलिंग का अंतिम छोर नहीं मिला, जिसे पुनः यथा स्थिति कर दिया गया, लोगों का दर्शन हेतु आवागमन प्रारंभ है। वही भगवान शिव की दर्शन के लिए आए दर्शनार्थियों द्वारा 14 जुलाई दिन रविवार को सफाई के उद्देश्य से जब आसपास के पत्थरों को हटाया गया, तो प्राचीन शिवलिंग के सामने लगभग सात आठ फीट की दूरी पर नंदी की प्राचीन प्रतिमा को देखा गया जिसे देख लोग हैरान हो गये। वहां उपस्थित कुछ लोगों के द्वारा नंदी की प्रतिमा के आसपास भी खुदाई कर जायजा लिया गया तो नंदी की प्रतिमा भी कहीं से कोई संदेहास्पद नही दिखा। आसपास के लोगों द्वारा ऐसा संभावना जताया जा रहा है, कि किसी समय यहां मंदिर रहा होगा जो भूकंप के झटके से ध्वस्त हो गया होगा,या किसी क्रूर शासको के द्वारा ध्वस्त किया गया होगा। यदि ऐतिहासिक दृष्टिकोण पर एक नजर डालते हुए विचार किया जाए, तो सन  1669 में औरंगजेब के द्वारा हिंदू स्कूलों एवं हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया गया था। जिसके द्वारा सन 1669 से सन 1670 के बीच सासाराम के प्राचीन मंदिर मां ताराचंडी धाम को भी निशाना बनाया गया था। जब वह मां तारा चंडी मंदिर को तोड़ने में बार-बार असफल हुआ तो उसके द्वारा मंदिर के परिसर में ही कुछ भागों पर मस्जिद बनाया गया जो कि आज भी मौजूद है। इस स्थल को देखने से यह प्रतीत हो रहा है कि औरंगजेब के शासनकाल में ही भगवान शिव के मंदिर को ध्वस्त कर शिवलिंग एवं नंदी की प्रतिमा को अवशेषों के बीच दबा दिया गया।

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