सेना की जमीन अतिक्रमण कारियो के हवाले मूक दर्शक बना है बिहार का प्रशासन

दुर्गावती संवाददाता श्यामसुंदर पांडेय की रिपोर्ट 


(कैमूर) दुर्गावती- उत्तर प्रदेश बिहार की सीमा पर स्थित खजुरा पंचायत के सरैया गांव में सैनिकों की जमीन को उसी गांव के अतिक्रमण कारियो के द्वारा पूर्ण रूप से अधिग्रहित कर लिया गया है और बिहार का प्रशासन चुपचाप अभी भी तमाशा देख रहा है। बता दे की मुगल काल से और अंग्रेजों के जमाने से पहले से ही आने जाने वाले सैनिकों का वहां ठहराव हुआ करता था जिसके कारण वह जमीन भारत सरकार के सेना विभाग के द्वारा सेना की जमीन घोषित कर दी गई। लगभग तेरह एकड़ में फैला यह मैदान पुराने जीटी रोड से लेकर सरैया गांव तक थी जिस जमीन पर कभी पशु मेला तो आज वर्तमान में आदमी का मेला लगाया जाता है। कोई घर बनाकर कोई मूर्ति लगाकर तो कोई किसी धर्म की मूर्ति लगाकर जमीन को अतिक्रमण करने में लगा हुआ हैं। इस स्थल पर बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जाने माने मंत्री विधायक और सांसद भी दौरा कर चुके हैं लेकिन इस देश की संपत्ति की जानकारी करना कोई मुना सिब नहीं समझा या जानने के बाद भी कोई सवाल नहीं उठाया जिसका नतीजा रहा कि आज भी सरहद के रक्षा के लिए कुर्बान होने वाले जवानों की जमीन पूर्ण रूप से अतिक्रमण कारियो के कब्जे में फंस चुकी है। लगता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग को बाईपास बनाते समय भी इस जमीन का एनोसी रक्षा मंत्रालय से नहीं लिया गया होगा। मामला चाहे जो भी हो यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन वर्तमान में जो देश के महत्वपूर्ण विभाग की जमीन की दुर्दशा हो रही है उसके विषय में दोषी किसे माना जाए विचार जनता करे। वर्तमान में बिहार सरकार के द्वारा सर्वे का काम जोरों पर है इसलिए इस सर्वे में अब देखना यह है कि विभाग के द्वारा जमीन को यथावत छोड़ दिया जाता है या अतिक्रमण कारियो के हवाले कर दिया जाता है यानी उनके नाम खाता खोला जाता है।

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