जन सुराज के सुत्राधार प्रशान्त किशोर पहुंचे कैमुर किए मिडिया के साथ प्रेस वार्ता
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Sep 04, 2024
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जिला संवाददाता संदिप कुमार की रिपोर्ट
कैमूर- जिला मुख्यालय भभुआ के परिसदन में जन सुराज के संस्थापक और राजनैतिक रणनीतिकार कहे जाने वाले प्रशांत किशोर ने प्रेस वार्ता की। प्रेस वार्ता के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका गांव-गांव तक पैदल पदयात्रा की शुरुआत 2 अक्टूबर 2022 से हुई थी जो लगभग बिहार के 60% गांव तक हुई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि उनकी पदयात्रा बिहार में चलती रहेगी।अभी वह सुपौल तक पहुंचे हैं बाकी बेगूसराय ,बांका जमुई, शाहाबाद इत्यादि बिहार के जिलों में उनकी पदयात्रा अभी होनी है। प्रशांत किशोर ने बताया कि भभुआ में उनकी पदयात्रा आज से करीब 8–9 महीने बाद शुरू होगी और इस पदयात्रा के दौरान वह कैमूर जिले में लगभग 20-21 दिनों तक पदयात्रा करेंगे। आज प्रेस वार्ता रखने का उनका मकसद पदयात्रा से संबंधित नहीं था बल्कि वह कैमूर जिला के जन सुराज के समर्थकों और नेताओं से मिलना था तथा रामगढ़ में जो विधानसभा उपचुनाव होने वाला है उसको देखते हुए कैमूर के दौरे पर हैं। प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि रामगढ़ में जनसूराज के समर्थकों से बात कर जानने का प्रयास करेंगे की क्या जन सूराज का कोई सदस्य रामगढ़ उपचुनाव लड़ने को इच्छुक है या नहीं। प्रशांत किशोर ने प्रेस वार्ता के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव तथा भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस के ऊपर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि अब तक बिहार में कांग्रेस लालू ,नीतीश और भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार रही है फिर भी यह सरकारे बिहार में बिहारियों के लिए जो सुविधाएं मुहैया करानी थी या उनके हितों के लिए जो काम करना था उसमें असफल रहीं हैं। आज की प्रेस वार्ता में जन सूराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने तीन मुद्दों पर विशेष रूप से बात बात की। उन्होंने कहा कि बिहार में तीन मुख्य समस्याएं हैं पलायन बेरोजगारी और शिक्षा।
पलायन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार से सिर्फ मजदूर ,गरीब रोजगार के लिए बिहार से बाहर नहीं जा रहे हैं बल्कि सामान्य मध्यम परिवार, उच्च मध्यम परिवार और पूंजीपतियों का भी पलायन हो चुका है। उन्होंने बिहार से हो रहे पलायन को समझाते हुए कहा कि बिहार से तीन तरह का पलायन हुआ है पहले श्रम का पलायन दूसरा बौद्धिक पलायन और तीसरा पूंजी का पलायन। प्रशांत किशोर ने पलायन पर बोलते हुए कहा कि केवल गरीब और मजदूर ही अपने परिवार अपने बच्चों के पालन पोषण हेतु कमाने के लिए दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए नहीं जा रहे हैं बल्कि यहां से बौद्धिक पलायन भी हो रहा है। जो भी पढ़े लिखे बिहार के युवा है वे नौकरी और रोजगार की तलाश में बिहार से बाहर जा रहे हैं तथा व्यवस्थाओं के अभाव में और सरकारी नीतियों के अभाव में यहां की पूंजीपति भी अपना रोजगार भारत के अन्य राज्यों में स्थापित कर दिए हैं जिसके चलते बिहार से पूंजी का एक बहुत बड़ा हिस्सा निकल चुका है। प्रशांत किशोर ने एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार के बैंकों से लगभग 25 लाख करोड़ रूपया अन्य राज्यों में ट्रांसफर हुआ है जो की यह राज्य के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि पूंजी के पलायन को हम रोक दें तो बिहार में रोजगार का सृजन होगा और पूंजी के रुक जाने से बौद्धिक पलायन भी रुक जाएगा और यदि बौद्धिक वर्ग पूंजी का सहारा लेकर यहां रोजगार सृजन करेगा तो निश्चित तौर पर श्रम का पलायन भी रुक जाएगा। लेकिन अब तक नीतीश और लाल के 32 साल के शासन के दौरान कभी भी बिहार से हो रहे पूंजी पलायन को रोकने का प्रयास नहीं किया गया जिसके चलते यहां से बौद्धिक पलायन और श्रम पलायन बदस्तूर जारी है। बात बात में बिहार के स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था पर तीखा प्रहार करते हुऐ उन्होंने कहा कि ऐसे तो बिहार की शिक्षा व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं थी लेकिन जब हम लोग सरकारी विद्यालय में पढ़ रहे थे तो कुछ विद्यालय जिले के अच्छे थे जिसे पढ़कर अच्छे विद्यार्थी निकले और देश और दुनिया में अपना एक अलग पहचान बनाया लेकिन नीतीश कुमार के शासन में जो थोड़ी बहुत शिक्षा की अच्छी व्यवस्था थी वह भी मटियामेट हो गई। उन्होंने कहा कि आम जनता सरकार को दोष देती है कि नियोजित शिक्षकों के चलते बिहार में शिक्षा व्यवस्था खराब है लेकिन बिहार का कैंब्रिज कहा जाने वाला साइंस कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी की शिक्षा व्यवस्था क्यों ध्वस्त हो चुकी है ,वहां तो अच्छे प्रोफेसर अच्छे लेक्चरर की सुविधा है।इसका मतलब कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त होना यहां की सरकारों की समाजवादी और समता मूलक शिक्षण कायम करने की जिद के चलते हैं ।उन्होंने आरोप लगाया कि लालू और नीतीश कुमार बिहार में समता मूलक शिक्षण व्यवस्था लागू करना चाहते थे और इसी प्रयोग के चलते बिहार की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। प्रशांत किशोर बिहार के विद्यालयों पर प्रहार करते हुए कहा कि बिहार के विद्यालयों में पढ़ने वाले शिक्षकों की जिम्मेदारी पढ़ाने से ज्यादा जनगणना करना, शराबबंदी करना, स्वच्छता अभियान में काम करना साथ-साथ बच्चों को खिचड़ी खिल।ने और चुनाव कराने की है। पीके तेजस्वी यादव पर प्रहार करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति को जो बिहार का दो बार उपमुख्यमंत्री रह चुका है जीडीपी के बारे में नहीं पता वह कहता है की बिहार में बिहार की बिगड़ी हुई व्यवस्था को बदल देगा यह केवल हास्यास्पद है और कुछ नहीं l प्रेस वार्ता के दौरान पीके से सवाल जब किया गया कि क्या आप चुनाव लड़ेंगे उन्होंने जवाब दिया कि 2 अक्टूबर 2024 को जनसुराज के समर्थकों से मीटिंग कर एक नए राजनीतिक पार्टी का गठन किया जाएगा जो बिहार के 245 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जनसूराज बिहार के 2025 विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करेगी और अपनी सरकार बनाएगी। उच्चतम न्यायालय के उस आदेश पर जो एससी एसटी आरक्षण से संबंधित है पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं उच्चतम न्यायालय के उस आदेश का समर्थन करता हूं जिसमें न्यायालय ने कोटे में कोटा का प्रावधान करने का सुझाव दिया है। प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका मानना है कि देश से आरक्षण समाप्त नहीं होनी चाहिए तब तक जब तक की बराबरी और गैर बराबरी के बीच का अंतर भर नहीं जाता लेकिन जो गरीब आरक्षण के दायरे से बाहर है या जिन्हें आरक्षण का अब तक लाभ नहीं मिला है उन्हें मिलना चाहिए।
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