कैमूर किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य पंकज राय ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Sep 19, 2024
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कैमूर- किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य पंकज राय गुरूवार को दोपहर पटना में मुख्यमंत्री सचिवालय पहुंच गए, और मांग पत्र सौंप मुख्यमंत्री सचिवालय को कैमूर जिले और बिहार की 6 समस्याओं से अवगत कराये। मुख्यमंत्री सचिवालय ने उनके द्वारा दिए गए पत्रों के जवाब में इलेक्ट्रॉनिक प्राप्ति रसीद भी सौंपा। ताकि भविष्य में आवेदक द्वारा उन पत्रों की वस्तु स्थिति को ट्रैक किया जा सके। पंकज राय द्वारा सौंपे गए पहले पत्र में मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि कैमूर में मेडिकल कॉलेज, पॉलिटेक्निक कॉलेज और आईटीआई कॉलेज की स्थापना की जाए।
दूसरे पत्र में मांग की गई है कि नुआंव प्रखंड के जैतपुरा गांव में अंतरराज्यीय पुल का निर्माण किया जाए, ताकि नुआंव प्रखंड के लोगों को सुलभता से दिलदारनगर-गाजीपुर से जोड़ा जा सके। तीसरी पत्र में यह मांग की गई है कि नुआंव में रासायनिक उर्वरक की सुलभता के लिए विस्कोमान भवन की स्थापना की जाए। चौथे पत्र में यह मांग किया गया है कि बिहार सरकार गंगा नदी के जल बंटवारे को लेकर के पूर्व में हुए समझौते के तहत बिहार के हिस्से का 560 क्यूसेक पानी जमानियाँ से ककरैत घाट लाकर कर्मनाशा में मिलने की योजना पर काम करें, ताकि लरमा पंप कैनाल और विश्वकर्मा पंप कैनाल को सुलभता से पानी मिल सकें। धड़हर पंप कैनाल के निर्माण कार्य में तेजी लाई जाए और कार्य को निर्धारित समय में संपन्न किया जाए, इस मांग को लेकर भी पत्र सौंपा गया है।
कैमूर किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य श्री पंकज राय ने कहा कि हम सिर्फ कैमूर जिले के किसानों की समस्या को लेकर चिंतित नहीं हैं, बल्कि पूरे बिहार में बकाया बिजली बिलों की माँफी को लेकर भी हमने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। ताकि किसान बिजली माँफी का लाभ पा सके और बिजली बिल के बोझ से उन्हें मुक्ति मिल सके। पंकज राय ने कहा कि अब हम लोग अगले दो-तीन महीने सरकार क्या कदम उठाती है, इसका इंतजार करेंगे। उसके बाद आरटीआई के जरिए सूचना मांगी जाएगी। अगर सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है, तो जन आंदोलन से लेकर के न्यायालय तक का रास्ता खुला रहेगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हम लोग विशुद्ध रूप से गैर राजनीतिक तौर पर जन समस्याओं को उठा रहे हैं। दुर्भाग्य की बात है कि जिन मामलों को राजनीतिक दलों और नेताओं को उठाना चाहिए, उन माँगों को किसानों को स्वयं उठाना पड़ रहा है। यह कैमूर की राजनीतिक शून्यता का ही परिणाम है। किसान खेत खलिहान से लेकर सड़क, सांसद और न्यायालय तक लड़ाई लड़ रहा है। जबकि राजनीतिक दल सत्ता सुख में लिप्त हैं।
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