वक्फ बोर्ड से कोसों दूर अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब

संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट 


दुर्गावती(कैमूर)- आजादी के बाद 1954 में अल्पसंख्यक समुदाय के गरीबों की उत्थान के लिए वक्फ बोर्ड का गठन उस समय के  प्रधानमंत्री नेहरू के द्वारा किया गया ताकि इनकी माली हालत सुधर जाए लेकिन उस कानून का अल्पसंख्यकों के विकास में कोई योगदान नहीं रहा न ही आज भी है देश का आज भी अल्पसंख्यक गरीब वही है जहां पहले था, उनकी माली हालत आज भी दयनीय बनी हुई है। आज भी अल्पसंख्यक समुदाय फुटपाथ पर ठेला लगाने गाड़ी का पंचर बनाने गावो में फेरी देने चाय बेचने या अन्य संसाधनों से अपनी जिंदगी का गुजर बसर करते नजर आ रहे हैं। लेकिन उस कानून से बना वक्काफ बोर्ड  एक भी पैसा उनके माली हालत को सुधारने में खर्च नहीं होता न बोर्ड करता है। आज अधिकांश अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे उच्च शिक्षा से दूर है जिन्हें देश के तकनीकी से दूर रखा गया  केवल उन्हें मजहबी शिक्षा देकर उलझाए रखा गया है। वक्फ बोर्ड बोर्ड के पास कुल 9.4 लाख एकड़ जमीन में फैली 8.7 की संपतिया है जिसकी आए लगभग 1.2 लाख करोड़ है। लेकिन वक्फ बोर्ड चेयर मैंनों मौलानाओ के द्वारा उन संपत्तियों पर कब्जा कर उनके आय से स्वर्ग की तरह जिंदगी जी रहे हैं। आज मजहब के मौलाना और बोर्ड के अध्यक्ष चेयर मैन मजहब की अंध भक्ति का ज्ञान पढ़ा कर आज अपने ही समुदाय के गरीब लोगों का दोहन कर रहे हैं जिसका नतीजा  यह है कि अल्पसंख्यक समुदाय का गरीब वही है जहां पहले था। अपनी जिंदगी को सुधारने और विकास के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब लोगों को इस पर ध्यान देना होगा। जब तक इस समुदाय का गरीब उस बोर्ड के हिसाब किताब पर ध्यान नहीं देगा तब तक उनकी माली हालत में कोई सुधार नहीं होगा। यह देश संविधान से चलता है इसलिए ऐसे काले कानून जो बनाए गए हैं उस वक्फ बोर्ड समाप्त किया जाना ही देश हित में उचित है। ताकि अन्य सुविधाओं की तरह इस संपत्ति की आय से होने वाली आमदनी की सुविधा अल्पसंख्यक समुदायों को भी बराबर मिलती रहे।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट