
आरक्षित और अनारक्षित के दुरगामी परिणाम कि राजनेताओं को चिंता नहीं
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Dec 23, 2024
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दुर्गावती संवाददाता श्याम सुंदर पांडे
कैमूर- एक तरफ लोकतंत्र की दुहाई दी जाती है तो दूसरे तरफ देश में अटपटे कानून बना दिए जाते हैं इसका दूरगामी परिणाम क्या हो सकते है इसकी राजनेताओं को चिंता नहीं। 10 से 5 एकड़ में लगभग फैले बंगले नौकर चाकर सुरक्षा प्रहरी सरकार के द्वारा मुफ्त में मिल जाने वाली सुविधा पेंशन से लैस राजनेता जो इस राजशाही सुख सुविधा के लिए जो देश में राजनीतिक खेल कर रहे है उसका क्या दूरगामी परिणाम होगा इसकी परवाह उन राजनेताओं को नहीं है। पूरे देश की राजनीति आज आरक्षित और अनारक्षित के बीच हो रही है जिसके कारण दूरियां बढ़ रही है जिसका परिणाम होगा कि यह दूरियां एक दिन अलगाव बाद को जन्म दे सकती है। भारत तेरे टुकड़े होगे के नारे लगे तो देश में हो हल्ला शुरू हुआ राजनेताओं ने यह नहीं सोचा इस तरह से कानून बनाकर देश को जो बांटने की परंपरा चल रही है अपने वोट के लिए उसका परिणाम क्या होगा क्या यह नारा इस पर सटीक बैठता नहीं। बिना जांच किये किसी को जेल में भेज देना क्या उनके मन में इस भावना को जन्म नहीं देता। एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं बाटोगे तो काटोगे और एक तरफ प्रधानमंत्री कहते हैं एक रहोगे तो सेफ रहोगे। क्या इस भेदभाव द्वारा बनाए गए कानून से कोई एक हो सकता है क्या भविष्य में देश बंट नहीं सकता, केवल नारा देना कुछ और कानून बनाना कुछ एकता को दर्शाता है, क्या एक म्यान में दो तलवार हो सकते हैं इस कहावत चरितार्थ नहीं करता। बाबा बागेश्वर रामदेव समस्त संतगण हिंदू एकता की बात करते हैं तो फिर हिंदुओं के बीच में दुधारी कानून क्यों। क्या इस भेदभाव रूपी कानून और जातीय आधारित जनगणना से हिंदू समाज में एकता और राष्ट्र में मजबूती आ सकती है, यह तो कोरी कल्पना है। आज के परिवेश में लोग कहते हैं मुसलमानों से देश को खतरा है हिंदूओ एक हो जाओ क्या भेदभाव युक्त कानून से एकता संभव है, क्या यह देश में आने वाले भविष्य में बंटवारे को जन्म नहीं दे सकती इसकी गारंटी कोई ले सकता है। राजनीति करना अच्छी बात है विकास करना देश को आगे ले जाना अच्छी बात है लेकिन जाति आधारित कानून बनाना जाति आधारित जनगणना करना जाति आधारित पार्टी बनाना जाति आधारित टिप्पणी करना आने वाले समय में देश के लिए घातक होने का संकेत है। जिन लोगों को टारगेट बनाकर कानून बनाया जा रहा है आखिरकार उन लोगों के पास है क्या, उन लोगों ने तो अपना राज पाठ कोष जवानी और जिंदगानी सब कुछ राष्ट्र को दे दिया तो अब उनको धुरी बनाकर देश में अलगाववाद की बीज क्यों राजनेताओं द्वारा बोई जारही है। ऐसे भेदभाव युक्त कानून में यदि सुधार करके और कानून में संशोधन करके देश को एक रास्ते पर एक कानून से यदि नहीं लाया गया तो भविष्य में देश में एक नेआवज उठ सकती है
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