आलू की वैज्ञानिक खेती से अधिक उपज संभव: डॉ. संदीप मौर्य


रोहतास। जिला में आलू रबी सीजन की महत्वपूर्ण फसल है, जिसका उपयोग सब्जियों, स्नैक्स, और व्रत-त्योहारों में फलाहार के रूप में होता है। डॉ. संदीप मौर्य, प्रभारी बागवानी, नारायण कृषि विज्ञान संस्थान, गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, ने आलू की सफल खेती के लिए तकनीकी जानकारी दी।


खेती की विधि:


खेत की तैयारी: मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई और पाटा देकर भुरभुरी मिट्टी तैयार करें।


प्रजातियाँ: कुफरी चंद्रमुखी, अशोका, लालिमा, बादशाह, और चिप्सोना जैसी किस्में, जिनकी उपज क्षमता 80-160 कु./एकड़ तक होती है।


बीज: 35-40 ग्राम वजन के प्रमाणित बीज, पंक्ति-दूरी 60 सेमी और कंद-दूरी 20 सेमी रखें।


खाद एवं उर्वरक: प्रति एकड़ 60 कु. गोबर खाद, 80 किग्रा. यूरिया, 200 किग्रा. सुपरफास्फेट, और 66 किग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश का उपयोग करें।



सिंचाई और देखभाल:


पहली सिंचाई बुआई के 8-10 दिन बाद करें। आवश्यकतानुसार हर 15 दिन पर सिंचाई करें और अंतिम सिंचाई खुदाई से 10 दिन पहले बंद करें।


कीट और रोग प्रबंधन:


फसल की रक्षा के लिए नाशीजीवों की पहचान कर सही प्रबंधन करें।


डॉ. मौर्य ने वैज्ञानिक तरीकों से खेती को लाभकारी बताते हुए किसानों को उन्नत तकनीकों का उपयोग करने की सलाह दी।

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