50 हजार की रिश्वत लेते पकड़े गए अधिकारी

भ्रष्टाचार के "रिचार्ज" खेला से भिवंडी में हड़कंप !

भिवंडी। भिवंडी-निज़ामपुर शहर महानगर पालिका में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि यहां 'रिचार्ज सिस्टम' का बोलबाला है। पद पर बने रहने और ट्रांसफर पाने के लिए हर महीने मोटी रकम 'रिचार्ज' के रूप में देनी पड़ती है। यह 'रिचार्ज सिस्टम' अब प्रशासन के विकास कार्यों को लील रहा है। हाल ही में मुंबई एंटीकरप्शन ब्यूरो (एसीबी) की कार्रवाई ने इस भ्रष्ट व्यवस्था का पर्दाफाश किया।

मुंबई एसीबी ने प्रभाग समिति क्रमांक चार के बीट निरीक्षक अमोल बारगड़े और प्रभारी सहायक आयुक्त सुनील भोईर को एक अवैध निर्माणकर्ता से 50 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। यह रिश्वत पालिका में अवैध निर्माण की छूट देने के लिए ली जा रही थी। इस गिरफ्तारी के बाद पालिका में हड़कंप मच गया है।

पिछले दो वर्षों में पालिका प्रशासन में लगभग 850 कर्मचारियों की ट्रांसफर की गई है। कुछ कर्मचारियों की तो 8-8 बार बदली की गई। सूत्र बताते हैं कि इन ट्रांसफर के पीछे 'रिचार्ज' का खेल चलता है। जो कर्मचारी मोटी रकम देकर 'रिचार्ज' करता है, उसे बेहतर पद और विभाग मिलता है। पालिका प्रशासन में 'रिचार्ज सिस्टम' भ्रष्टाचार का प्रमुख जरिया बन चुका है। जो अधिकारी समय पर 'रिचार्ज' नहीं करते, उन्हें पद से हटा दिया जाता है। वहीं, जिनका 'रिचार्ज' एक्टिव रहता है, उन्हें अवैध निर्माण, प्रॉपर्टी टैक्स, और अन्य विभागों से मनमानी वसूली की खुली छूट दी जाती है।

गिरफ्तारी से ठीक एक दिन पहले प्रभारी सहायक आयुक्त सुनील भोईर का ट्रांसफर किया गया था। यह ट्रांसफर भी 'रिचार्ज सिस्टम' का हिस्सा होने का शक पैदा कर रहा है। पालिका प्रशासन में 'रिचार्ज सिस्टम' इतना मजबूत हो चुका है कि विकास कार्य हाशिए पर पहुंच गए हैं। अधिकारी अपनी कुर्सी बचाने के लिए 'रिचार्ज' में व्यस्त हैं, जबकि आम नागरिकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। भिवंडी के नागरिक इस खुलासे से आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि, "पालिका विकास का केंद्र होना चाहिए, लेकिन यहां तो रिश्वतखोरी का मेला लगा हुआ है।" वे इस 'रिचार्ज सिस्टम' को खत्म करने और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

ठाणे एसीबी पर उठे सवाल, मुंबई और नवीं मुंबई एसीबी से उम्मीद :::::

भिवंडी के नागरिकों का ठाणे एंटीकरप्शन ब्यूरो पर से विश्वास पूरी तरह उठ चुका है। सूत्र बताते हैं कि पालिका में एसीबी के आने की खबर पहले ही लीक हो जाती है, जिससे अधिकारी भाग निकलते हैं। नतीजतन, नागरिक अब अपनी शिकायतें मुंबई और नवी मुंबई एसीबी को सौंपने पर मजबूर हैं।

रिपोर्टर

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