
गणतंत्र दिवस मनाने का क्या उद्देश्य हैं उद्देश्यों की पूर्ति हुई
- सुनील कुमार, जिला ब्यूरो चीफ रोहतास
- Jan 25, 2025
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रोहतास। 76वें गणतंत्र दिवस की तैयारियां जिले में पूरी कर ली गई है। चारों तरफ हंसी खुशी तिरंगा प्यारा फहराने में लगे हुए हैं। इस संबंध में काशी काव्य संगम रोहतास के जिला संयोजक साहित्यकार कवि सुनील कुमार रोहतास ने बताया कि गणतंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें देश का सर्वोच्च अधिकार जनता के पास होता है और वे अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करके शासन चलाते हैं। इसमें सत्ता किसी एक व्यक्ति या वंश के हाथ में न होकर संविधान और कानून के अनुसार संचालित होती है।आजादी के बाद देश कैसे चलेगा ? यह प्रमुख प्रश्न था,जिसका समाधान देश के कर्णधारों ने ढूंढ निकाला।आजाद भारत के लिए अपना स्वयं का कानून हो जिसमें पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने की क्षमता हो । काफी विचार-विमर्श पश्चात संविधान सभा का गठन हुआ। मसौदा समिति के अध्यक्ष डॉ.भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में संविधान का मसौदा तैयार हुआ । संविधान को अंतिम रूप देने में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन का समय लगा। संविधान को 26 नवम्बर 1949 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। जिसने देश को पूर्ण गणराज्य का दर्जा दिया और प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार, कर्त्तव्य और स्वतंत्रता प्रदान की।
भारत में प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य देशवासियों को भारतीय संविधान की गौरवशाली विरासत, लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय एकता की भावना का स्मरण कराना है। यह दिन भारतीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों— न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की पुनर्पुष्टि का प्रतीक है। 26 जनवरी इस दिन का उद्देश्य नागरिकों को उनके संवैधानिक अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना, लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास बनाए रखना और देश की संप्रभुता को सुदृढ़ करना है।
वर्तमान समय में गणतंत्र दिवस के उद्देश्यों की पूर्ति की वास्तविकता पर दृष्टि डालें तो पाते हैं कि भारत ने अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। हमारा देश आज विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है। संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता और शिक्षा के समान अवसर प्राप्त हुए हैं। सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र में भी अनेक सुधार हुए हैं, जिनके परिणामस्वरूप गरीबों और वंचित वर्गों को मुख्यधारा में शामिल करने के प्रयास हुए हैं।
हालाँकि, यह भी सत्य है कि कुछ क्षेत्रों में अभी भी सुधार की आवश्यकता बनी हुई है। सामाजिक असमानता, जातिगत भेदभाव, भ्रष्टाचार और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दे गणतंत्र के आदर्शों के समक्ष चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं। संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का भी पालन करना आवश्यक है। सरकार की नीतियों और योजनाओं में पारदर्शिता लाना, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना तथा महिलाओं, बच्चों एवं कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना गणतंत्र दिवस के मूल उद्देश्यों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होंगे।
गणतंत्र दिवस हमें न केवल उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह आत्मचिंतन का भी दिन है। संविधान द्वारा निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रत्येक नागरिक को अपनी भूमिका निभानी होगी। यदि हम सभी अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग रहें, तो भारत वास्तव में एक सशक्त, समावेशी और विकसित गणराज्य के रूप में आगे बढ़ेगा।
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