धावादल के द्वारा तीन नाबालिग बाल श्रमिकों को कराया गया विमुक्त

जिला संवाददाता संदीप कुमार की रिपोर्ट 

कैमूर- श्रम संसाधन विभाग कैमूर के अंतर्गत श्रम अधीक्षक कैमूर द्वारा गठित बाल श्रम विमुक्ति हेतु धावादल का संचालन रामगढ प्रखण्ड में किया गया। जिसमे रामगढ स्थित विभिन्न ईंट भट्टो का निरीक्षण करते समय लसङा ग्राम स्थित जे ऐच ईंट भट्टा से तीन बाल श्रमिको को विमुक्त कराया गया। सभी विमुक्त बाल श्रमिक  झारखंड के निवासी है। सभी बाल श्रमिकों को विमुक्ति के उपरांत जिला बाल संरक्षण इकाई कैमूर के सुपुर्द करते हुए दोषी नियोजक पर  बाल एवं किशोर  श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम 1986 की सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करने की कार्यवाही की गई है। विदित हो कि विमुक्त बाल श्रमिक को तत्काल सहायता राशि के रूप में ₹3000 भी दिए जाते है। साथ ही माननीय उच्चतम न्यायालय के एम सी मेहता बनाम तमिलनाडु राज्य मामले में दिए गए आदेश के आलोक में दोषी नियोजक से प्रति विमुक्त बाल श्रमिक ₹20000 वसूली की भी कार्रवाई की जाएगी तथा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के अंतर्गत भी कार्यवाही की जाएगी।  विदित हो कि बाल एवं किशोर श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम 1986 के अंतर्गत 14 वर्ष से काम के आयु के बच्चों से कार्य करवाना तथा 14 से 18 वर्ष के बीच के बच्चों से खतरनाक नियोजनों में कार्य करवाना एक संज्ञेय अपराध है जिसमें दोषी पाए जाने पर रु 20000 से ₹50000 तक के जुर्माने के प्रावधान (माननीय उच्चतम न्यायालय के एम सी मेहता बनाम तमिलनाडु राज्य मामले में दिए गए आदेश के आलोक में दोषी नियोजक से प्रति विमुक्त बाल श्रमिक ₹20000 वसूली के अतिरिक्त) के साथ-साथ 6 महीने से 2 साल तक के कारावास का भी प्रावधान है। श्रम अधीक्षक के द्वारा बताया गया कि ये धावादल नियमित रूप से जिला में चलाया जाता है। धावादल में शामिल श्रम अधीक्षक, कैमूर श्री चंदन कुमार, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारीयों में जय गोपाल नाथ, रामगढ प्रखंड , राजीव रंजन निखर इत्यादि लोग शामिल थे।


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