डिहरी में समोसे के पैसे बहुत अधिक लेते हैं दुकानदार


रोहतास। जिले के डिहरी, डालमियानगर,अकोढी गोला में मिठाई के दुकान खोलकर समोसे बेचने वाले दुकानदार ग्राहकों से मनमानी रूपए वसूलते हैं। जिससे ग्राहकों में काफी असंतोष एवं रोष उत्पन्न होती है। फिर भी दुकानदार अपनी अधिक पैसे वसूलने में कोई कसर नहीं छोड़ते है। इस संबंध में सैकड़ों लोगों ने बताया कि इस तीनों शहरों के दुकानों पर नास्ते के लिए लोग जाते हैं तो समोसे के रेट दस रुपए प्रति पीस बताया जाता है। लेकिन जब दुकान में खाने बैठियेगा तो वेटर द्वारा दो समोसे में चटनी या छोले डालने के लिए पूछा जाता है। इसमें से कोई भी आर्डर करके आप नास्ता कर लिजिए लेकिन जब पैसे देने की बारी आयेगी तो दो समोसे की कीमत पचास रुपए दुकानदार द्वारा लिया जा रहा है।जो एक चम्मच चटनी या एक चम्मच छोले की कीमत तीस रूपए अधिक वसूली की जाती है।जो लगभग दो तीन वर्षों से जारी है। जिसमें ग्राहक अपने को ठगा महसूस कर कम पैसों की बात होने के कारण एवं दुकानदार द्वारा रसीद नहीं देने के कारण कही शिकायत नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन अधिकांश दुकानदार का उक्त शहर में बहुत मनोबल बढ़ा हुआ है।अगर जिम्मेदार लोगों के द्वारा इसकी जांच कर अगर कारवाई नहीं की जाती है तो भयंकर लड़ाई झगडे होने की प्रबल संभावना है। जिससे सबंधित अधिकारी को तुरंत जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए। इसके अलावा दुकानों पर दूषित और मिलावटी खाद्य-सामग्री मिठाई दुध सब्जी धड़ल्ले से बिक रही है, उसे देखने वाला कोई माई-बाप नहीं है। ऐसा कोई भी सामान नहीं, जिसमें मिलावट न हो। इन मिलावटी सामानों में कुछ इस तरह के रासायनिक पदार्थों का प्रयोग होता है, जिससे सामान बिलकुल ताजा दिखता है। जबकि मिलावटी मिठाइयों में खुशबू भी होती है, जिससे उनकी घटिया होने का पता ग्राहकों को नहीं चल पाता। जिले के सासाराम, डेहरी, बिक्रमगंज, नोखा, करगहर तथा अन्य बड़े फल-सब्जी बाजारों में भी जहर भरा रासायनिक पदार्थों का प्रयोग होता है। इनके प्रयोग से फल-सब्जियाँ बिलकुल ही ताजी दिखती हैं, जिसे अच्छा समझकर अधिकांश ग्राहक उन्हीं की ओर आकर्षित होते हैं। इन सब मिलावटी चीजों को खाने से स्वास्थ्य पर धीरे-धीरे इसका प्रतिकूल असर पड़ता जाता है।और लोग असमय काल का शिकार होते रहेंगे। इस दिशा में कभी भी खाद्य-निरीक्षक द्वारा ठोस कदम नहीं उठाया जाता, जिससे की इस पर विराम लगे। आम-अवाम तो ये भी नहीं जानता की इसके रोक-थाम के लिए भी जिले में कोई विभाग या पदाधिकारी है। फूड इंस्पेक्टर कौन हैं, कहाँ रहते हैं, उनका क्या दायित्व है, लोगों को कुछ भी पता नहीं। इस दिशा में जिला प्रशासन को कठोर निर्णय लेते हुए आवश्यक कार्रवाई करनी होगी, जिससे कि लोगों को नकली खाद्य-सामग्रियों से बचाया जा सके। एवं अधिक दाम वसूलने को पकड़ने के साथ कारवाई करनी चाहिए।

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