भारतीय सेना का ऑपरेशन सिंदूर शौर्य का और स्त्री-सम्मान यज्ञ है

 संवाददाता श्याम सुन्दर पांडेय की रिपोर्ट 

दुर्गावती(कैमूर)-- भारतीय सेना ने जो ऑपरेशन सिंदूर चलाया वह पहलगाम हमले में उजाड़े गए आतंकी हमले में विधवा महिलाओं के सिंदूर को सच्ची श्रद्धांजलि है। जैसे पहलगाम हमले में मारे गए महिलाएं बिलख रही थी आज पाकिस्तान में वैसे ही महिलाएं बिलख रही हैं। यह केवल एक अभियान नहीं, यह एक संकल्प है,संस्कृति की आत्मा को बचाने का, माँ के आँचल पर लगे कलंक को धोने का।"ऑपरेशन सिंदूर"कोई साधारण युद्ध नहीं, यह ऋषियों की तपोभूमि से उठी वह पुकार है जो अधर्म के विरुद्ध धर्म की अग्नि में परिवर्तित हो चुकी है।सिंदूर,जिसे हिंदू संस्कृति ने केवल सुहाग का प्रतीक नहीं, अपितु शक्ति, श्रद्धा और सृष्टि का स्वरूप माना।उसके अपमान का अर्थ है साक्षात शक्ति की देवी का तिरस्कार,और जब शक्ति को ललकारा जाता है, तो दुर्गा चंडी का रूप लेती हैं, और फिर होता है वही रक्तबीज का संहार।२८ माताओं-बहनों की मर्यादा को रौंदना, केवल एक कायरता नहीं, बल्कि समूची सभ्यता को चुनौती देना है।लेकिन याद रखो यह वही धरती है जहां द्रौपदी के आंसू ने महाभारत रच दिया था।ऑपरेशन सिंदूर कोई प्रतिशोध नहीं,यह धर्म की पुनर्स्थापना, नारी की गरिमा का शंखनाद, और न्याय के यज्ञ में आहुति है।यह हर उस विचार के विरुद्ध संग्राम है, जो नारी को निर्बल समझता है।यह युद्ध नहीं, चेतावनी है।जिसने नारी को पीड़ा दी, अब समय उसे पीड़ा की परिभाषा समझाएगा। साथ ही सोशल मीडिया और टीवी डीवेट में अनाप शनाप बोलने वाले अपने गायकी के माध्यम से सवाल पूछने वाले लोगों के गाल पर यह तमाचा है। जिसे अपने सेना पर भरोसा नहीं केवल पार्टी के आकाओं पर भरोसा है उन्हें अपनी आंखें खोल कर देख लेना चाहिए। भरत को छेड़ना भारतीय सेना को चुनौती देना इतना आसान नहीं है।

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