पर्यटन को मिलेगी नई उड़ान


रोहतास।दो दिवसीय शेरशाह महोत्सव का समापन शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुआ। सासाराम स्थित न्यू स्टेडियम फजलगंज में आयोजित इस भव्य महोत्सव ने दर्शकों को शेरशाह सूरी की ऐतिहासिक विरासत से जोड़ने का कार्य किया। महोत्सव का मुख्य उद्देश्य जिले में पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय ऐतिहासिक स्थलों की ओर देश-दुनिया के पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करना रहा।


शेरशाह का मकबरा: ताजमहल की टक्कर का स्थापत्य


सासाराम स्थित शेरशाह सूरी का मकबरा अपनी भव्यता और अद्भुत वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इसे भारतीय स्थापत्य का एक अनमोल रत्न माना जाता है। यही नहीं, उनके पिता हसन शाह और पुत्र सलीम शाह के मकबरे भी यहीं स्थित हैं, जो ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। बावजूद इसके, यह स्थल अपेक्षित रूप से पर्यटकों का ध्यान नहीं खींच पा रहा है। शेरशाह महोत्सव इसी कमी को दूर करने की दिशा में एक प्रयास है।


राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय एकता रही थीम


इस वर्ष महोत्सव की थीम “राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय एकता” रखी गई थी। कार्यक्रम में विभिन्न विद्यालयों, सांस्कृतिक संस्थानों और लोक कलाकारों द्वारा देशभक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।


2017 से शुरू हुआ परंपरा का सिलसिला


शेरशाह महोत्सव की शुरुआत वर्ष 2017 में हुई थी। तब से यह आयोजन हर वर्ष मई माह में शेरशाह सूरी की पुण्यतिथि (22 मई) के अवसर पर किया जाता है। यह तिथि ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि 22 मई 1545 को कालिंजर किले की घेराबंदी के दौरान एक बारूद विस्फोट में शेरशाह सूरी की मृत्यु हो गई थी।


इतिहास को सहेजने और भावी पीढ़ी से जोड़ने की पहल


महोत्सव न केवल पर्यटन को प्रोत्साहित करता है, बल्कि युवाओं को अपनी ऐतिहासिक जड़ों से भी जोड़ता है। शेरशाह सूरी जैसे महान प्रशासक और योद्धा की गाथा को जन-जन तक पहुंचाने में यह आयोजन मील का पत्थर साबित हो रहा है।

रिपोर्टर

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