
साहित्य में भक्ति एवं श्रृंगार का उत्तम स्थान प्राप्त
- सुनील कुमार, जिला ब्यूरो चीफ रोहतास
- May 24, 2025
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वैवाहिक वर्षगांठ पर कवि गोष्ठी का आयोजन
रोहतास। काशी काव्य संगम रोहतास जिला के संयोजक कवि सह साहित्यकार की शादी की वर्षगांठ पर जिले के किशुनपुरा गांव में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें विभिन्न कवियों ने अपनी भक्ति एवं श्रृंगार रचनाएं को उद्धृत कर काव्य सरिता का संचार किया।साथ ही कवि सुनील कुमार की शादी वर्षगांठ 24 मई को दोनों पति-पत्नी को शुभकामनाएं बधाईयां दी गई। जिसमें अपनी रचना के बाद कवि सुनील कुमार रोहतास ने बताए कि हिंदी साहित्य में गद्य, पद्य, कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि सम्मिलित हैं। किंतु किस प्रकार का साहित्य लिखा जाए जो युगों-युगों तक चिरजीवी बने!
आजकल जो समस्याएँ पुस्तकों में स्थान ले रही हैं थे वे तो समाज को परिवर्तन की दिशा में प्रेरित करती हैं। किंतु वह समस्या सदैव तो नहीं रहेंगी! उनका भी अंत एक दिन आना ही है जैसे सति प्रथा और दूधपीती प्रथा का हुआ। समय अनुसार समस्याएँ भी बदलती रहेंगी। या फिर, भगवान के चरित्र को लेकर के पुस्तकें लिखी गई हैं वें भी तो साहित्य नहीं क्योंकि वे तो ग्रंथ हैं।
तो क्या प्रेम के विषय में लिखी गई रचनाएंँ साहित्य में स्थान ले सकती हैं ?
इस विषय में मेरा यह मानना है कि कालिदास जी की मेघदूत एक चिरंजीवी साहित्य है जैसे रामायण व महाभारत आदि ग्रंथ चिर काल तक स्मरणीय हैं। क्योंकि आज भी वह उतनी ही प्रासंगिक है जितनी कल थी। मेघदूत एक संस्कृत साहित्य है जिसमें श्रृंगार रस की प्रधानता है। इसका पहला श्लोक ही अपनी प्रिय पत्नी के वियोग व्याकुल एक पक्ष उससे मिलने की कामना करता है।
स्वाधिकारात् प्रमत्तः कान्ताविरहगुरुणा वर्षभोग्येण भर्तुः शापेन अस्तगमितमहिमा कश्चित् यक्षः जनकतनयास्नानपुण्योदकेषु स्निग्धच्छायातरुषु रामगिर्याश्रमेषु वसतिं चक्रे।
अतः मेरा व्यक्तिगत मानना है कि साहित्य वह है जो कल था, आज है और आने वाले कल में भी उसका स्थान निश्चित है। साहित्य के जितने भी प्रकार हैं उनमें भक्ति साहित्य तथा श्रृंगार रस युक्त साहित्य को हमारे देश में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। ऐसा नहीं है कि बाकी साहित्य को स्थान नहीं है किंतु वे सभी समय अनुसार बदलते रहेंगे और उनमें बदलाव आवश्यक भी है समाज में बदलाव लाने के लिए उनका हमेशा से महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कवि निराला, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद जी और ऐसे कई साहित्यकार हैं जिन्होंने साहित्य को उच्च कोटि का लेखन दिया और समाज को एक नई दिशा के लिए प्रेरित भी किया। कवि सुनील कुमार रोहतास ने आगे उन्होंने अपने वक्तव्य में बताए कि हमारे जीवन को चाहे वह मनुष्य हो चाहे वह पशु पक्षी हो उन सब जीवों के लिए चारों तरफ हरियाली का होना बहुत जरूरी है। और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना भी वायुमंडल के लिए बहुत जरूरी है। क्योंकि वृक्षारोपण करने से मनुष्य को पशु पक्षी को शुद्ध प्राण वायु मिलती है। कई बीमारियों से निजात मिलती है। जनजीवन खुशहाल रहता है। और धरती माता का साज श्रृंगार भी होता है। वृक्षारोपण से धरती हरी भरी रहती है। तेज गर्मी से निजात मिलती है। तेज ठंड से भी निजात मिलती है। और साथ में बरसातों में भी इससे निजात मिलती है। क्योंकि वृक्ष चारों तरफ होते हैं। तो वहां पर एक तरह से सुरक्षा का कवच बन जाता है। उसके नीचे ना तो गर्मी लगती है। और ना ही बहुत सर्दी लगती है। और ना ही बरसात से भीगते हैं। इससे हमारी शरीर की रक्षा होती है। चिड़ियों के लिए पक्षियों के लिए भी घोषला घर बनाने का एक विशेष स्थान वृक्षो में ही मिलता है। वृक्षो से हमें शुद्ध फल भी मिलते हैं। और उन फलों से मनुष्य का शरीर में और कई तरह के प्राकृतिक विटामिंस मिनरल्स पाए जाते हैं। जिससे मनुष्य अपना सुखी जीवन व्यतीत करता है ।और खुशहाल रहता है। इसलिए आज से ही हम सब संकल्प करें। प्रण करें। हर वर्ष विशेष कर बरसात के मौसम में अपने घर के आगे सार्वजनिक स्थलों में सड़क के किनारो में एक-एक वृक्ष लगाए। ताकि प्रकृति की रक्षा हो सके। धरती माता की साज श्रृंगार हो सके। और धरती को स्वर्ग बनाया जाए। ताकि धरती खुशहाल रह सके। धरती में रहने वाले मनुष्य जीव जंतु भी खुशहाल रह सके। वृक्षो से हमें शुद्ध प्राण वायु, पानी शुद्ध, शुद्ध खाद्य पदार्थ ,शुद्ध आयुर्वेदिक औषधियां, वायुमंडल का संतुलन, प्राकृतिक आपदा से बचाव, मिट्टी के कटाव से बचाव, प्रदूषण से बचाव, यह सब वृक्षों से ही प्राप्त होते हैं। इसलिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें ताकि प्रकृति को आपदा से बचाया जा सके।
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