भिवंडी में प्लास्टिक प्रतिबंध की उड़ रही धज्जियां, मनपा–ठेकेदार की मिलीभगत से कानून बना मजाक

भिवंडी। राज्य सरकार के सिंगल-यूज प्लास्टिक पर लगाए गए कड़े प्रतिबंध को भिवंडी शहर में धता बताया जा रहा है। गलियों और बाजारों में प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियां खुलेआम बिक रही हैं, जबकि नगर प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। आरोप है कि इसमें मनपा और ठेकेदार की गहरी मिलीभगत है। भिवंडी-निज़ामपुर शहर महानगरपालिका ने 26 जून 2025 से तीन महीने के लिए उल्लासनगर की मे.रेयान इंटरप्राइजेस कंपनी को प्लास्टिक पकड़ने और जुर्माना वसूलने का ठेका दिया गया है। इस अनुबंध की अवधि 25 सितंबर को खत्म हो रही है। समझौते के अनुसार, वसूले गए जुर्माने में से 60 प्रतिशत हिस्सा मनपा को और 40 प्रतिशत ठेकेदार को मिलना तय था। लेकिन सूत्र बताते हैं कि यह व्यवस्था भ्रष्टाचार की फैक्ट्री में बदल चुकी है।

ठेकेदार के कर्मचारी प्लास्टिक पकड़ने का सिर्फ दिखावा करते हैं। हकीकत में वे कारोबारियों से सांठगांठ कर मोटी रकम वसूलते हैं। हैरानी की बात यह है कि पिछले तीन महीनों में कितनी प्लास्टिक जब्त हुई और कितना जुर्माना वसूला गया—इसकी कोई स्पष्ट जानकारी न तो ठेकेदार के पास है और न ही मनपा के स्वास्थ्य व स्वच्छता विभाग के पास।

शहर के पांचों प्रभागों में पांच-पांच कर्मचारी तैनात किए गए हैं, लेकिन उनका असली काम अवैध धंधे को संरक्षण देना और जुर्माने की रकम से जेब भरना बताया जा रहा है। नतीजतन, भिवंडी में प्रतिबंधित प्लास्टिक का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है।जनता और पर्यावरण इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। सवाल उठता है कि जब कानून लागू कराने वाले ही भ्रष्टाचार में डूबे हों, तो आम नागरिकों से नियम पालन की उम्मीद कैसे की जा सकती है? विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही स्थिति बनी रही तो प्लास्टिक प्रतिबंध सिर्फ दिखावा बनकर रह जाएगा और शहर की सड़कों पर कानून की लाश बिखरी नजर आएगी।

रिपोर्टर

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