ट्रेन मैनेजरों ने एनएफआईआर महासचिव को सौंपा ज्ञापन, 8वें वेतन आयोग में उठेगी आवाज

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे की सुरक्षा और संचालन व्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले ट्रेन मैनेजरों ने अपनी ऐतिहासिक मांगों को लेकर राजधानी में आयोजित नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआईआर) के 31वें राष्ट्रीय अधिवेशन में महासचिव डॉ. एम. राघवैया को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में ट्रेन मैनेजरों को “रेल की धड़कन” बताते हुए उन्हें रेलवे संरक्षा का महत्वपूर्ण पद घोषित करने, वेतन-भत्तों में वृद्धि और कार्य स्थितियों में सुधार की मांग की गई।

अधिवेशन को संबोधित करते हुए डॉ. राघवैया ने कहा कि लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर भारतीय रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था की सबसे अहम कड़ी हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ट्रेन मैनेजरों की मांगों को आगामी एनसी-जेसीएम समिति और 8वें वेतन आयोग के समक्ष मजबूती से रखा जाएगा। उन्होंने कहा, “यह सम्मान की लड़ाई है, ट्रेन मैनेजरों को उनका हक और सामाजिक-आर्थिक न्याय दिलाना एनएफआईआर की प्राथमिकता है।”

हर 15 मिनट में बचती है एक जान

ज्ञापन में बताया गया कि ट्रेन मैनेजर प्रतिदिन अपनी सतर्कता और सूझबूझ से लगभग 100 दुर्घटनाओं को टालते हैं और औसतन हर 15 मिनट में एक जान बचाते हैं। दुर्घटना की स्थिति में वही सबसे पहले घटनास्थल के प्रभारी होते हैं, जो गोल्डन ऑवर में सुरक्षा उपाय, प्राथमिक उपचार और निकासी व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाते हैं।

प्रमुख मांगें

ज्ञापन में ट्रेन मैनेजरों के लिए ग्रेड पे ₹4600 (लेवल-7) करने, सुरक्षा भत्ते की शुरुआत, माइलेज दर भत्ता 25% बढ़ाने, रनिंग एलिमेंट 30% से 35% करने, यूनिफॉर्म भत्ता ₹20,000, नाइट ड्यूटी भत्ते पर कैप हटाने और एमएसीपी का समयबद्ध क्रियान्वयन जैसी मांगें शामिल हैं। इसमें वैज्ञानिक और चिकित्सकीय शोधों का हवाला देते हुए बताया गया कि अनियमित ड्यूटी से ट्रेन मैनेजर नींद की समस्या, हाई ब्लड प्रेशर, क्रॉनिक थकान और मानसिक दबाव जैसी गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करते हैं।

गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि

ज्ञापन में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने या गंभीर चोटों का सामना करने वाले ट्रेन मैनेजरों—जैसे कमलकांत (बरौनी), देवेंद्र कुमार (झांसी), प्रताप ठाकुर (धरखोह)—को श्रद्धांजलि दी गई। इसके साथ ही कई ट्रेन मैनेजरों के साहसिक कार्यों का भी उल्लेख किया गया, जिन्होंने समय रहते दुर्घटनाएं टालकर यात्रियों की जान बचाई।

अंतरराष्ट्रीय मानकों की ओर इशारा

ट्रेन मैनेजरों ने याद दिलाया कि भारतीय रेलवे ने गार्ड/ट्रेन मैनेजर को ही ‘भोलू’ के रूप में रेल का मास्कॉट बनाया है, लेकिन सुविधाओं और वेतनमान में अब भी उपेक्षा बनी हुई है। जर्मनी, ब्रिटेन और जापान जैसे देशों में ट्रेन ऑपरेशनल मैनेजरों को उच्च वेतन और सम्मान मिलता है, भारत को भी वैश्विक मानकों को अपनाना चाहिए।

एकजुटता का आह्वान

डॉ. राघवैया ने मंच से आह्वान किया कि सभी जोनल यूनियनों को मिलकर इन मांगों के समर्थन में खड़ा होना होगा। उन्होंने कहा सिर्फ एकजुटता से ही समाधान संभव है। इस अवसर पर ऑल इंडिया ट्रेन मैनेजर ग्रुप की ओर से राकेश श्रीवास, रोमेश चौबे, राजीव वर्मा, रुस्तम पांडा, सी.एस. सिंह, श्रीजेश अची, विनय कुमार, दिनेश कुमार, मुन्ना मंडल, एस.एन. सहगल, दीपक पाराशर, एन.के. सिन सहित 400 से अधिक ट्रेन प्रबंधक मौजूद रहे। एनएफआईआर अधिवेशन से यह संदेश साफ है कि जब तक “रेल की धड़कन” को उनका हक और सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक भारतीय रेलवे की सुरक्षा और गुणवत्ता अधूरी रहेगी।

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