महबूबा महबूबा


______________________________


तीन  साल  बीत  गये मौसम  सुहाना रहा 

कभी  भी  बहाना  नहीं  रहा  मेरे यार को 

छोड़ छाड़  हाथ  चले  आज  पिया बावरे 

सांवरे  सलोने  काहे , भूल  गये  प्यार को 

आओ फिर खेले खाये खुशिया मनाये हम

गाये  गीत  प्रीत  वाला  छोड़े  तकरार  को 

महबूबा  -  महबूबा   रटते   थे   रोज  दुबे 

बोलो  क्या हुआ है  आज मेरे सरकार को

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट