बदला चुनावी समीकरण, कांग्रेस ने दिया गठबंधन को अपना 'हाथ'
- राजेश कुमार शर्मा, उत्तर प्रदेश विशेष संवाददाता
- May 18, 2019
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उत्तर प्रदेश : बलिया सीट पर सपा-बसपा-रालोद गठबंधन को कांग्रेस के समर्थन देने से सियासी समीकरण बदलता हुआ नजर आ रहा है। कांग्रेस ने लोकसभा की बलिया सीट पर गठबंधन के प्रत्याशी सनातन पांडे को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। बलिया लोकसभा सीट पर सातवें एवं अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है। बलिया लोकसभा सीट पूर्वांचल की एक महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। बलिया में इस बार कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया। कांग्रेस समर्थित जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी का भी पर्चा खारिज हो गया। ऐसे में कांग्रेस के पास कोई विकल्प भी नहीं बचा।
कांग्रेस बलिया के अलावा बांसगांव लोकसभा सीट पर भी गठबंधन प्रत्याशी को अपना समर्थन दे रही है। इस संदर्भ में कांग्रेस जिला अध्यक्ष सच्चिदानंद तिवारी ने बताया कि जिले में कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी सनातन पांडे को समर्थन देगी क्योंकि यहां उनका कोई प्रत्याशी नहीं है। उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि सपा-बसपा गठबंधन को समर्थन देने का फैसला केंद्रीय नेतृत्व का है।
यह पार्टी का नीतिगत फैसला है, जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जहां प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के मुखिया मायावती और अखिलेश कांग्रेस को पानी पी पीकर गाली दे रहे हैं, वहीं कांग्रेस का बलिया और बांसगांव सीटों पर गठबंधन को समर्थन देना क्या सिद्ध करता है।
कांग्रेस बलिया के अलावा बांसगांव लोकसभा सीट पर भी गठबंधन प्रत्याशी को अपना समर्थन दे रही है। इस संदर्भ में कांग्रेस जिला अध्यक्ष सच्चिदानंद तिवारी ने बताया कि जिले में कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी सनातन पांडे को समर्थन देगी क्योंकि यहां उनका कोई प्रत्याशी नहीं है। उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि सपा-बसपा गठबंधन को समर्थन देने का फैसला केंद्रीय नेतृत्व का है।
यह पार्टी का नीतिगत फैसला है, जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जहां प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के मुखिया मायावती और अखिलेश कांग्रेस को पानी पी पीकर गाली दे रहे हैं, वहीं कांग्रेस का बलिया और बांसगांव सीटों पर गठबंधन को समर्थन देना क्या सिद्ध करता है।
एक-दूसरे को गाली देना महज एक चुनावी रणनीति
माना जा रहा है कि चुनाव के पूर्व सपा बसपा गठबंधन और कांग्रेस का एक-दूसरे को गाली देना महज एक चुनावी रणनीति थी। इस बार के चुनाव में सपा बसपा गठबंधन ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी की रायबरेली और अमेठी सीटों पर अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं किया।
वहीं, कांग्रेस ने भी सपा परिवार की पांच महत्वपूर्ण सीटें जिनमें इटावा समेत आजमगढ़ तक में कोई भी अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया। अब सपा-बसपा गठबंधन को कांग्रेस की ओर से इस तरह का समर्थन दिया जाना यह प्रमाणित करता है कि चुनाव में यह आपसी गाली गलौज महज चुनावी रणनीति का हिस्सा थी।
वहीं, कांग्रेस ने भी सपा परिवार की पांच महत्वपूर्ण सीटें जिनमें इटावा समेत आजमगढ़ तक में कोई भी अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया। अब सपा-बसपा गठबंधन को कांग्रेस की ओर से इस तरह का समर्थन दिया जाना यह प्रमाणित करता है कि चुनाव में यह आपसी गाली गलौज महज चुनावी रणनीति का हिस्सा थी।
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