
बिहार नवनिर्माण मोर्चा के बनने से सूबे की सभी पार्टियां बेचैन हो गई है ,नरेंद्र सिंह,पूर्व मंत्री
- Lalu Yadav, Reporter Jharkhand/Bihar
- Aug 29, 2019
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जमुई से जिला सावांदाता देवेन्द्र कुमार का रिपोर्ट-
जमुई - बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सह बिहार नवनिर्माण मोर्चा के संयोजक नरेंद्र सिंह ने जमूई परिसदन में प्रेसवार्ता करते हुए कहा कि आज दलितों पीड़ितों वंचितों एवं किसान मजदूरों की बात करने वाले बहुत है । लेकिन उनका वाजिब हक देने वाले आज सरकार में बैठे लोग नहीं हैं। श्री नरेन्द्र सिंह ने कहा कि इस मोर्चा के बनने से वैसे लोगों में खलबली मच गई है जो अगड़ों पिछड़ों दलितों के नाम पर सिर्फ बरसों से राजनीति करते आ रहे हैं। श्री सिंह ने बिहार में बीते वर्षों में बने कई सरकार से जुड़े बातों को साझा करते हुए कहा कि मैं 1992 में राम सुंदर दास को दलित के नाम पर बेइज्जत किए जाने पर विरोध करते हुए सरकार से अलग हो गया फिर लालू यादव की सरकार को हटाने के लिए नीतिश कुमार से गठजोड़ कर लोजपा के 22 एवं निर्दलीय 19 विधायकों के साथ नीतीश जी को सरकार बनाने में सहयोग किया अगर मुझे सत्ता का कोई लोभ होता तो मैं उस समय भी मुख्यमंत्री बन सकता था।फिर कुर्सी छोड़कर नीतीश कुमार जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया । मात्र तीन महीने सरकार चलाने के बाद ही उसे फिर जितनराम मांझी से कुर्सी छिन लिया गया । फिर मैंने इसका बिरोध किया। चुटकी लेते हुए कहा कि आज जदयू एवं अन्य बिहार कि सभी पार्टियां व्यक्ति विशेष की प्राईवेट लिमिटेड पार्टी बनकर रह गई है। ये दल कुछ लोगों तक ही सिमट कर रह गई है आज सभी दल दलदल हो गया है।आज सिर्फ चापलूसी करने वाले लोग तलवा सहलाने का काम कर सरकार में बने हुए हैं। जो सही बात करते हुए आवाज उठाते हैं उन्हें पार्टी से बाहर या दरकिनार कर दिया जाता है । इसलिए अब फिर से समय आ गया है कि लोग व्यक्ति विशेष पार्टियों को छोड़कर जनहित के लिए आवाज के रूप में जनता के साथ उनके समस्याओं को उठाने का काम यह मोर्चा करेगी। मैं छात्र राजनीति से जयप्रकाश नारायण के नीतियों और सिद्धांत के साथ बिना पद या कुर्सी के चाहत के राजनीति संघर्ष करता आ रहा हूँ। आज लोगों के अंदर जो प्रतिरोध है उसे बुलंद करने लिए बिहार नवनिर्माण मोर्चा के गठन किया है यह मोर्चा है कोई पार्टी नही है।यह कोई चुनाव नही लड़ेगा।
पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि जिस प्रकार से सड़क दुर्घटना या बज्रपात में होने बाले मौत पर सरकार द्वारा तत्काल चार लाख की सहायता राशि प्रदान की जाती है उसी तरह बाढ़ या सुखाल में सभी किसानों को तत्काल पच्चीस हजार प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा देना चाहिए। हर किसानों के परिवार के सदस्य को कोई भी छोटी से बड़ी बीमारी के ईलाज की मुफ्त व्यवस्था मिले। किसानों के बच्चे बच्चियों को प्रथम कक्षा से लेकर उच्च शिक्षा मुफ्त में दी जाए। यही हमारे बिहार नवनिर्मान मोर्चा का उद्देश्य है ।
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