भुखमरी एवं कुपोषण मे भारत ने मारा शतक

रिपोर्ट - सत्यवेन्द्र यादव आजाद

प्रयागराज :- 119 देशों में पहले हमारा स्थान 97 वा  था , तीन स्थान फिसल कर अब हमारा स्थान 100 वा हो गया है , केवल हम 19 देशों के ऊपर है भूख  से निपटने में हम चीन , नेपाल , म्यानमार श्रीलंका और बांग्लादेश से भी पीछे हैं ।

यह सूची संयुक्त राष्ट्रीय खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा बनाई गई है । रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुपोषित लोगों की संख्या 19 करोड़ है , सूची के अनुसार 15 से 49 वर्ष की 51.4 फीसद महिलाएं खून की कमी से जूझ रही है , एवं 38 फीसद बच्चे अपनी आयु के मुताबिक लंबाई एवं वजन में कम पाए गए । हमारे देश में भोजन की कमी से हुई बीमारियों  से हर वर्ष 3000 बच्चे दम तोड़ देते हैं । 

ऐसा नहीं है भारत सरकार इस और ध्यान नहीं दे रही ,पर भ्रष्टाचार और फर्जी गरीबी रेखा के परमिटों के कारण हमारा देश भुखमरी एवं कुपोषण से ग्रस्त है भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही गरीबी रेखा योजना में गरीबों को एक रुपए किलो अनाज दिया जाता है पर हमारी  विडंबना  यह है की पैसे वालों ने भी फर्जी तरीके से नीले राशन कार्ड बनवा लिए  है , जो गरीबों का हक था उसको मार कर खुद वह अनाज और सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं ।

आजादी के बाद हमारा देश गेहूं उत्पादन में बहुत पीछे था , हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने ,एक नारा दिया था, जय जवान , जय किसान, उस समय  अमेरिका ने भारत को लाल गेहूं दान स्वरूप दिया था , यह लाल गेहूं अमेरिका में जानवरों को खिलाया जाता था वहीं गेहूं भारत को दिया गया था ,लाल गेहूं की रोटी खाना भारत वासियों के लिए मजबूरी थी, पर अब हमारा देश खासतौर से हमारा प्रदेश, मध्य प्रदेश गेहूं उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है , गेहूं उत्पादन करोड़ों टन का होता है , पर रखरखाव ढंग से नहीं होने के कारण लाखों टन गेहूं सड़ जाता है ,और फेंक दिया जाता है ,पर गरीबों को नहीं बांटा जाता ।

मजे की बात यह है सड़ा गेहूं फेंकने के लिए भी टेंडर होते हैं अधिकारी और व्यापारी सड़ा गेहूं  फेंकने में भी  पैसे कमाते हैं अगर हम लोग प्रयास करें तो हमारे देश में भुखमरी और कुपोषण से काफी कुछ निजात पा सकते हैं , हम लोग यह प्रण कर ले और रोटी बैंक खोलें इससे भुखमरी और कुपोषण पर लगाम लगा सकते हैं ।

रोटी बैंक क्या है हम रोज अपने बजट के अनुसार केवल छह रोटी के बराबर रोज का आटा  या गेहूं या उसके बराबर पैसे अलग निकाल कर रख दे और वह पैसे या गेहूं महीने में एक बार किसी ऐसे गरीब को दे  , तो भुखमरी एवं कुपोषण पर लगाम लगाया जा सकता है , अगर हम रोटीयों का वजन करें 6 रोटियों का वजन बहुत से बहुत सौ ग्राम होगा महीने का कुल वजन 3 किलो के करीब होता है , अगर हर एक घर से 3 किलो गेहूं गरीबों में बाटा  जाए तो पूरे देश मे टनो क्विंटल गेहूं इकट्ठा हो जाएगा और लाखों लोगों के पेट भर जाएंगे । इससे ज्यादा रोटियां लोग फेक देते हैं । 


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