गृहिणियों को कविता के मंच से जोड़ने की पहल
- राजेश कुमार शर्मा, उत्तर प्रदेश विशेष संवाददाता
- Jul 24, 2018
- 566 views
वाराणसी । रसाईं घर में बिताने वाली गृहिणियांं सोमवार को कविता के मंच पर मुखर हुईं। अपनी रचनाओं के माध्यम से उन्होंने साबित कर दिया कि उनकी निगाह सिर्फ स्वादिष्ट व्यंजनों की रेसिपी पर ही नहीं रहती बल्कि समाज में पक रही खिचड़ी पर भी उनकी बारीक नजर है।
शहर के अलग-अलग मोहल्लों में रहने वाली इन गृहिणियों को कविता के मंच से जोड़ने की पहल आइना फाउंडेशन ने की। सोमवार को पराड़कर स्मृति भवन में मुख्य अतिथि तबला वादक पं. अशोक पांडेय एवं विशिष्ट अतिथि लेखक डा. इरशाद राही की उपस्थिति में गृहिणियों ने अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरो कर प्रस्तुत किया। खोजवां की रहने वाली हेमा वर्मा ने अपनी नज्म ‘मिलते हैं लोग बहुत, नहीं किसी से मिलता मन’ के जरिए जज्बात रखे तो विद्यापीठ की वंदना गुप्ता ने ‘पानी के शब्द’ शीर्षक कविता से जल की कीमत समझाई। प्रीती जायसवाल ने बनारस की विशिष्टताओं पर आधारित रचना से प्रभावित किया तो प्रतिभा मिश्रा ‘ख्वाहिश’ ने अपनी गजल ‘ऐ खुदा मेर इल्तजा पे जरा गौर करना, मेरी तकदीर लिाना तो इस तरह लिखना’ के जरिए ख्वाहिशों को पंख लगाए। रंजना, उमा मिश्रा, पिंक जायसवाल, रुबीना, रेणु गुप्ता, पायल सोनी ने भी अपनी काव्य प्रतिभा का प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता के अंतर्गत किए गए काव्यपाठ के दौरान निर्णायकों की भूमिका में नवगीतकार डा. अशोक सिंह, साहित्यकार राजेंद्र गुप्त एवं सावन शुक्ला रहे कार्यक्रम के दूसरे चरण में शिखा सेठ ने कजरी गाई तो निधि और समृद्धि ने कथक नृत्य किया। आरंभ में संस्था की ओर से साधना निगम, प्रतिमा सिंह, संजना तिवारी, वंदना चतुर्वेदी, प्रीति उपाध्याय, सीमा श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन आकांक्षा मिश्रा ने किया।
रिपोर्टर