घड़ियाली आंसू बहा रहे है कुछ छुटभैया नेता गरीब ,मजदूरों का उड़ाया जा रहा हैं मजाक

दो बांटी चावल बांट कर गरीबों का फोटो व विडियो करते हैं वायरल                        


भिवंडी।। कोरोना वायरस का खौफ पूरे देश में इस कदर फैला हुआ हैं कि कोई किसी सूरत में ‌अपने गांव लौट जाना चाहता हैं.वैसे ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस फैलाने से रोकने के लिए ‌21 दिनों तक देश को लाक डाउन कर रखा हैं क्योंकि इसके पीछे का मकसद सोशल डिस्टेंसिंग करने के लिए सुनिश्चित करना हैं. जनता कर्फ्यू के बाद भुखमरी के मुहाने पर पहुँचे लाखों कामगार दिल्ली, मुंबई , पंजाब ,केरल ,मद्रास, कलकत्ता आदि शहरों से पैदल ही अपने परिवार को लेकर निकल पड़े हैं.जिसमें असंख्य बच्चे हैं , बूढ़े हैं, गर्भवती महिलाएं हैं, बीमार लोग हैं, गोद में छोटे से बच्चे को लेकर पैदल चल रही माताऐ हैं भीख मांग कर पेट भरने वाले हैं फुटपाथ पर सोकर मजूरी करने वाले हैं उनके पास रहने को घर नहीं हैं ।                        

क्या मध्यवर्ग भी कभी ऐसी यात्रा करता है कि 1000 से 1800 सौ.किलोमीटर पैदल बिना खाए पीए चलता रहे ? वे किसी अनजाने डर से भाग रहे हैं. किन्तु सरकार के सख्त कानून के तहत इन्हें रोका गया. उन्हें अपने गांव तक जाने के लिए बसें उपलब्ध करवाई गयी.                                     

कुछ सत्ता का सूख भोग रहे सत्ताधारी नेता इनके बारे में अपशब्द का इस्तेमाल किया कि मजदूर पैसा, भोजन आदि की असुरक्षा के चलते नहीं भाग रहे हैं. वे अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाने के लिए भाग रहे हैं.इसे आप अश्लीलता और बेशर्मी की पराकाष्ठा कह सकते हैं.चाटुकारिता में ऐसे नेता भुल गये कि इन्हीं मजदूरों के कारण सांसद व विधायक चुने जाते है. सत्ताधारी नेताओं के अंदर चाटुकारिता इतनी भरी रहती हैं कि अपने तंबू से बाहर नहीं देख पाते हैं.                                                   

सत्ताधारी नेता जिसने भारत की गरीबी देखी हैं. जिससे अपेक्षाकृत ज्यादा संवेदनशीलता की अपेक्षा की जाती है.वह इन गरीब लोगों पर ऐसा अश्लील फिकरा कस रहा है.नेतृत्व की परीक्षा संकटकाल में ही होती है. इस संकट काल में कोई नेता जनता का मजाक उड़ा रहा है.कोई रामायण देखते हुए अपनी फोटो जारी कर रहा है, कोई घंटी बजाते हुए वीडियो बनवा कर जारी कर रहा है, कोई आरती और श्लोक शेयर कर रहा है, कोई दीपक जलाकर दीपावली मनाने के लिए कह रहा हैं. तो कोई गरीबों को दो बाटी चावल बांट कर घड़ियाली आंसू बहा रहा हैं.                                              


भिवंडी शहर में लगभग 5 लाख उत्तर भारतीय समाज सहित अनेकों प्रांतों के मजदूर दिहाडी मजदूरी करते हैं. कोई गोदाम में काम करता हैं कोई पावरलूम कारखाने में काम करता हैं.तो कोई रास्ते पर दिहाडी मजदूरी करता हैं.                         

इन मजदूरों का पलायन रोकने के भिवंडी पुलिस उपायुक्त राजकुमार शिंदे के नेतृत्व में अनेक स्वयं सेवी संस्थाओं ने बढ़ चढ़ कर भोजन व राशन उपलब्ध करवाया जा रहा हैं.जिसमें पत्रकारों ने जमकर पुलिस का सहयोग किया. किन्तु कुछ सत्ताधारी नेता इस संकट काल का फायदा उठाते हुए शहर में अवैध व फर्जी तरीके से चलाऐ जा रहे यूट्यूब चैनलों पर दो बांटी राशन व 150 ग्राम चावल वितरण कर गरीबों के साथ फोटो खिंचवाकर व विडियो न्युज जैसा बनावाकर वायरल कर रहे हैं.जिसके कारण गरीब ,मजदूरों का अपमान के साथ उनके स्वाभिमान में ठेस पहुँचती हैं आज उनके पास इस संकट काल में खाने के लिए नहीं है किन्तु स्वाभिमानी मजदूर मेहनत कर खाना खाता हैं वह अपने खून पसीने से कमाई करता हैं वह किसी के सामने हाथ फैलाना नही जानता हैं.उसके मेहनत से ऐसे नेता सफेद कपड़ा पहनकर घुमते हैं. आज मजदूर नहीं होता तो ऐसे नेताओं पर सफेदी तक नहीं होती।                                             

 वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने ऐसे नेताओं के बारे ट्यूटर में लिखा था.सरकार विदेशों में फंसे नागरिकों के लिए विशेष विमान भेज सकती  हैं लेकिन देश के गरीबों को गैर जिम्मेदार बताती हैं.भाजपा सरकार इन गरीबों के लिए विशेष विमान क्यो नही भेजती हैं ऐ विचारधारा की मानसिकता हैं इन्हीं गरीबों के वोट लेकर नेता सांसद व विधानसभा तक पहुँचते है

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