
लाॅक डाउन में राजनीति खेल? वोटर कार्ड नहीं तो राशन नहीं।
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Apr 20, 2020
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नेता भी वोटर कार्ड देखकर बांट रहे है राशन रहे हैं ?
भिवंडी।। लाॅक डाउन में नेता अपनी राजनीतिक पैठ बनाने के लिए वोटर कार्ड धारकों को ही राशन वितरण कर रहे.जिनके पास वोटर कार्ड नहीं उन्हे राशन नहीं. जिसके कारण मजदूरों को दानशूरों द्वारा वितरित किये जा रहे 150 ग्राम पीला चावल (खिचड़ी) खाकर अपना जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हैं.
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वोटर कार्ड नहीं तो मदत नहीं:
भिवंडी शहर पावरलूम की नगरी है यहां पर उत्तर प्रदेश,बिहार,मध्य प्रदेश, उड़ीसा अन्य राज्यों से मजदूर आकर पावरलूम, गोदाम, डांईग साईजिंग कंपनियाँ में दिहाडी मजदूरी करते हैं.वहीं पर ये मजदूर भिस्सी में खाना खाकर अपना जीवन यापन करते हैं.इन मजदूरों के पास यहाँ का इलेक्शन कार्ड नहीं होता.जिसके कारण छुटभैया नेता इन्हें कोई मदत नहीं करता हैं.कुछ मजदूर ऐसे भी होते हैं जो कारखानों में ही रहते हैं तथा कुछ मजदूर झुग्गी झोपड़ियों में रहकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं.ऐसे मजदूरों की मदद करने के लिए भिवंडी शहर का कोई भी नेता सामने नहीं आ रहा है.जिसके कारण लाॅक डाउन में फंसे मजदूर वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर कई बार वायरल कर चुके हैं वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय पुलिस पहुंचकर इनकी मदद की है.
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भरपेट भोजन देने वाली भिस्सी भी बंद:
भिवंडी तालुका के मीटपाड़ा, खूनीगांव, खाड़ीपार, नालापार, कारिवली गांव, भंडारी कंपाउंड, बावला कंपाउंड, जब्बार कंपाउड, सांवदा गांव ,खोखा कंपाउंड, नयेगांव, चंविद्रा आदि क्षेत्रों मे लाखों कारखाने पावरलूम के हैं इन कारखानों में प्रतिदिन लाखों मजदूर काम कर करते हैं तथा उसी कारखाने में रहकर अपना जीवन यापन भी करते हैं इनके खाने का एकमात्र सहारा कारखानों के आसपास स्थिति भिस्सी ही होती है. किंतु लाॅक डाउन में भिस्सी बंद होने के कारण ये मजदूर भुखमरी के कगार पर खड़े हैं. वहीं पर सरकार राशन कार्ड धारकों को मुक्त में 3 महीने का राशन वितरित कर रही है इसके साथ ही स्थानीय छुटभैया नेता अपनी राजनीति पैठ व पकड़ मजबूत करने के लिए अपने अपने क्षेत्र में रहने वाले मजदूरों को पहचान पहचान कर राशन का वितरण किया जा रहा हैं.
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पलायन ही एक मात्र रास्ता :
कारखानों में रहने वाले मजदूरों के पास पैसा नहीं होने के कारण बाजार से सामान भी नहीं खरीद सकते तथा कुछ मजदूरों के पास पैसा होने के बाद भी खाना बनाने के लिए उचित सामग्री बर्तन भंडी व गैस नहीं होने के कारण खाना नहीं बना सकते है.जिसके कारण मजदूरों को पलायन एकमात्र सहारा बचा हुआ है कुछ दिन पहले भिवंडी शहर के कामतघर, बावला कंपाउंड फेना पड़ा आदि क्षेत्रों से सैकड़ों मजदूर रात के अंधेरे में पलायन
कर रहे थे जिसको स्थानीय पुलिस ने रोककर वापस अपने अपने क्षेत्रों में भेज दिया था किंतु यह मजदूर अपने घरों पर ना जाकर पुनः रात के अंधेरे में अपने गांव उत्तर प्रदेश बिहार राज्यों के लिए पैदल ही पलायन कर गये. शाहपुर पहुंचते-पहुंचते इन मजदूरों को वहां की पुलिस ने रोककर स्कूलों में रहने व खाने की व्यवस्था की हैं।
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