सरकारी दावे का खुला पोल 32 मजदूर भूखे मरने को मजबूर गांव वालो के सहयोग से मिल रहा किसी तरह से राशन.

बिहार से ब्यूरो चीफ देवेन्द्र कुमार के साथ शक्ति प्रसाद शर्मा की रिपोर्ट  

जमुई  चकाई  प्रखण्ड के कोराने गांव में तम्बू बनाकर रह रहे है 32 मजदूर। लॉक डॉउन के दौरान जहां यहाँ फँस गए थे मजदूर आलम यह है की अब इनके पास न राशन है न कोई व्यवस्था गांव वाले दया कर कुछ दे दिया तो दे दिया वरना भूखे सोने को है मजबूर।सभी मजदूर बी बी इंटर प्राईजेज आल इण्डिया टूरिंग पार्टी कलकत्ता का है। जो जगह जगह झूला ,ड्रेगन, ब्रेक डांस जैसे मेले आ आयोजन करते है।इसी दौरान ये सभी मेला लगाने यही आये थे। लेकिन कॅरोना वायरस के कारण जो जहा है वही रुक जाय सरकार उन्हें भूखे नही मरने देगी जैसे कई सरकारी दावे आज फेल नजर आ रहे है ।वही मजदूर का आरोप है की राशन के लिए कई आफिस भटके की राशन मिल जायेगा पर खाली हाथ ही वापस आना पड़ा। जब इस बारे प्रखण्ड बिकास पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा की अब उनलोगों को राशन नही खाना का ही व्यवस्था करा देंगे। अब देखना यह है की सरकार इन मजदूरों के वारे में क्या सोचती है। बहरहाल सरकार के दावे सिर्फ घोषणा और कागजो में दिखता है जब जमीन पर इसकी स्थिती देखी जाती है तो कुछ और ही नज़र आती है जरूरत है की इस लॉक डॉउन में सरकार के पदाधिकारी इन लोगो के तकलीफ को समझे नही तो इन्हें भूखों मरने से कोई नही बचा पायेगा .

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