अधिवक्ताओं के सामने रोजी-रोटी और भूखमरी का उत्पन्न हुआ संकट - अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी

वाराणसी ।। अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी ने अधिवक्ता कल्याण समिति  उत्तर प्रदेश को पत्र लिखा की अधिवक्ता के कल्याण के लिये एक निधि  की स्थापना किये जाने हेतु वर्ष-1974 में उत्तर प्रदेश अधिवक्ता कल्याण  निधि अधिनियम पारित कर उत्तर प्रदेश अधिवक्ता कल्याण निधि की स्थापना की  गयी, जिसका मुख्य उद्देश्य अधिवक्ताओं के लिए सामूहिक बीमा योजना, उनके  बैठने के लिए टीन शेड, चैम्बर तथा अन्य सुविधायें उपलब्ध कराना है। ऐसे  अधिवक्ताओं के लिये जो सदस्य बनना चाहें, अधिवक्ता सामाजिक सुरक्षा निधि  योजना चलाये जाने का प्राविधान रखा गया। सामाजिक सुरक्षा निधि योजना के  सदस्यों की सदस्यता से त्यागपत्र देने अथवा मृत्यु होने पर निधि से उन्हें  धनराशि का भुगतान किये जाने का भी प्राविधान किया गया। निधि के आय के स्रोत  अधिवक्ताओं के लिये कल्याणकारी स्टाम्पों की बिक्री से प्राप्त आय,  रजिस्ट्रेशन के समय उत्तर प्रदेश बार कौंसिल को उपलब्ध कराये गये स्टैम्प  पेपर के समतुल्य धनराशि तथा सामाजिक सुरक्षा निधि योजना के सदस्यों के  रजिस्ट्रेशन तथा वार्षिक शुल्क की धनराशि है। इसके अतिरिक्त शासन से भी  समय-समय पर अनुदान प्राप्त हुआ है।

अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए अधिवक्ता कल्याण निधि की स्थापना की गई। जिसमें अधिवक्ता कल्याण का टिकट पांच रुपये था। जिसे वकालत नामा पर लगाना अनिवार्य था। बाद में इसका मूल्य बढ़ाकर 10 रुपए कर दिया गया। प्रदेश में अधिवक्ताओं की संख्या लगभग 3 लाख है। वकालत नामा पर टिकट का लगाया जाना अनिवार्य  है।  अधिवक्ता कल्याण हित के लिए बने इस अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति का पूरा उत्तरदायित्व अधिवक्ताओं के प्रति होना चाहिए इसके बावजूद प्रदेश के अधिवक्ताओं को अधिवक्ता कल्याण टिकट से कितनी आय और उस आय से कितने अधिवक्ताओं को सहायता धनराशि दी गई। इसकी जानकारी उत्तर प्रदेश के सामान्य अधिवक्ताओं को अथवा जनपद के बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को कभी नहीं मिली । आम अधिवक्ताओं के मन में यह भ्रम उत्पन्न हो रहा कि कहीं अधिवक्ता टिकट का फर्जी टिकट तो नहीं बेचा जा रहा है। न्यासी समिति को इस संदर्भ में अधिवक्ता कल्याण निधि की राशि और उससे कितने को सहायत की गई। इसको सार्वजनिक किया जाना चाहिए क्योंकि इस कोरोना काल में जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही है और विगत कई माह से अधिवक्ताओं का भी कार्य प्रभावित हुआ है अदालतें लगभग बंद चल रही है उस परिस्थिति में भी जब अधिवक्ताओं के सामने भुखमरी और रोजी रोटी का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है तब भी अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति की तरफ से न तो अधिवक्ताओं की कोई मदद की गई और ना ही कोई सहयोग राशि अधिवक्ताओं के कल्याण अर्थ जनपद  के अधिक्ताओं के संगठनों को भेजी गई इससे स्पष्ट होता है कि जिस उद्देश्य से इस निधि का निर्माण किया गया था और प्रति वकालतनामा ₹10 का टिकट लगाकर जो करोड़ों रुपए प्रतिदिन अधिवक्ताओं की तरफ से अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति को दिए जाते हैं अधिवक्ताओं के किसी भी कल्याण के काम में नहीं आ रहे हैं अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति के इस कार्य से उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं का स्वाभिमान और सम्मान समाज में गिरवी होने की स्थिति में आ गया है यह अत्यंत दुखद और चिंताजनक है इस सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की सरकार में अधिवक्ता कल्याण निधि न न्यासी समिति के अध्यक्ष जो कि महाधिवक्ता है और अन्य सदस्य गण अधिवक्ताओं के हितों की लगातार अनदेखी कर रहे हैं अधिवक्ताओं के इस महा संकटकाल में यदि अधिवक्ता कल्याण निधि समिति की तरफ से अपने स्थापना काल से अब तक के आय-व्यय का विवरण सामान्य अधिवक्ताओं को नहीं दिया गया और न्यासी समिति में उपलब्ध फंड से अधिवक्ताओं का सहयोग नहीं किया गया तो अधिवक्ताओं के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है इसकी पूरी जिम्मेदारी अधिवक्ता कल्याण निधि ने आसी समिति के अध्यक्ष व सदस्य गण व सचिव की होगी अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि अधिवक्ता कल्याण की दिशा में अपने कदमों को बढ़ाते हुए अपने स्थापना काल से आज तक आए हुए आय-व्यय का विवरण अधिवक्ताओं के समक्ष जारी करें तथा जो भी फंड वर्तमान समय में न्यासी समिति के पास उपलब्ध है उसका समान वितरण प्रदेश के समस्त अधिवक्ता बंधुओं के बीच करने के लिए बार एसोसिएशन के अध्यक्ष महामंत्री यों की एक आपात बैठक बुलाकर आनुपातिक रूप से वितरण करके इस कोरोना काल में पुण्य के भागी बने ।

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