सेहत और सौन्दर्य दोनों को चौपट करता है प्रदूषण - शहनाज़ हुसैन

मार्च में कोरोना वायरस के ग्राफ  रोकने के  लिए जब केन्द सरकार ने लॉक डाउन लागु किया तो  महानगरों में लोगों ने अपने जीवन में पहली बार नीला आसमान देखा , हबा एक दम साफ हो गई , प्रदूषण छू मन्त्र  हो गया और मैदानी इलाकों से हिमालय पर्वतों के साक्षात् दर्शन होने शुरू हो गए लॉक डाउन के इस परिणाम से जान मानस मानो मन्त्र मुग्ध हो गया और सोशल मीडिया नदियों  में बहते स्वच्छ जल , साफ बाताबरण , नीले आसमान और प्रकृति के बिभिन्न स्वरूपों के फोटो /वीडियो  से भर गया सोशल मीडिया में लगातार शहरों की साफ़ आबो हबा और इसके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभावों की  चर्चा चलती रही और लोगों ने इसे सकारात्मक रूप में समझा बिश्व के सबसे बड़े लॉक डाउन  में भारतियों शहरों में प्रदूष्ण की दर रिकॉर्ड 80 प्रतिशत तक गिर गई और बस , रेलगाड़ी , हवाई जाहज ,उद्योग ,परिवहन , मानवीय गतिविधियों  के रुक जाने से जिन्दगी ऐसे थम गई  जिसकी किसी ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी ।

लेकिन अब सरकार ने सब गतिबिधियों को खोलना शुरू कर दिया है और अब अनलॉक 5 की गाइडलाइन्स जारी होने के बाद मानों सामाजिक  और  आर्थिक क्षेत्र को  सभी सीमा बंधनों से मुक्त कर दिया है एक और जहाँ सरकार की गाइडलाइन्स का हर क्षेत्र स्वागत कर रहा है क्योंकि आप समाजिक /आर्थिक गतिबिधियों को लम्बे समय तक बंद नहीं रख सकते तो दूसरी और अनलॉक प्रक्रिया के पुरे होने पर फैक्टरियां , दफ्तर ,सड़क , रेल , हवाई यातायात आदि सामान्य रूप से चलने से बाताबरण में बायु प्रदूषण में इज़ाफ़ा रिकॉर्ड किया जा रहा है इसी समय हर साल किसान अपनी फसल पराली खेतों में जलाते हैं जिससे महानगरों में प्रदूषण कई गुना बढ़ जाता हैं हालाँकि सरकारी एजेन्सियां हवा को साफ रखने के निरन्तर प्रयत्न कर रही हैं लेकिन शहरों में प्रदूषण ने दुबारा दस्तक दे दी है और हबा की गुणबत्ता में लगातार गिरबाट दर्ज की जा रही है ।

शहरों में बढ़ते प्रदूषण से जहां हृदय , फेफ़ड़ों , मधुमेह तथा जीवन शैली से जुड़े रोगों के रोगियों को अनेक नई  मुश्किलों से जूझना पड़ता है बहीं दूसरी और अपने काम , धन्धे  , रोजगार,व्यापार आदि  के सिलसिले में घर से बाहर जाने बाले आम जन मानस  को भी  प्रदूषण की मार झेलनी पड़ती है क्योंकि प्रदूषण की बजह से त्वचा , बालों तथा चेहरे की छबि से जुडी अनेक समस्याएँ  मुंह बाएँ खड़ी हो जाती हैं  तथा प्रदूषण उनकी जीवन शैली और काम में दक्षता को सीधे तौर पर प्रभाबित करता है ।

प्रदूषण बिभिन्न रूपों में पाया जाता है जिनमे से बायु , मिट्टी ,ऊर्जा ,ध्वनि आदि मुख्य रूप से जाने जाते हैं तथा इनमे से हवा में फैला  प्रदूषण  सबसे ज्यादा नुकसान देह माना  जाता है क्योंकि इससे सबसे ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं ।

देश  के अधिकतर शहरों के आसमान  में धुएं ,धूल ,एसिड से भरी जहरीली हबा की परत बार बार खतरनाक  स्तर  पर पहुंच रही है बायु में प्रदूषण  आगामी दिनों में  बद  से बदतर  हो सकता है हालाँकि बायु प्रदूषण  से सेहत को होने बाले नुकसान  के बारे में ज्यादातर लोग जागरूक  हैं लेकिन बायु प्रदूषण से बालों, त्वचा ,चेहरे की सुन्दरता  पर पड़ने बाले खतरनाक प्रभाव से  कम  ही लोग बाक़िफ़  हैं वायु में बढ़ते प्रदूषण से न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है लेकिन उससे आपकी खूबसूरती पर भी ग्रहण लगता है/ बाताबरण में फैले प्रदूषण से जहाँ त्वचा के बहरी हिस्सों को नुकसान पहुँचता है बहीं यह त्वचा के अंदरूनी हिस्सों को भी प्रभाबित करता है बाताबरण में फैले प्रदूषण के बढ़ने और त्वचा में जलन , खाज ,खुजली ,लाल चक्क्ते आदि का सीधा सम्बन्ध होता है जहाँ सूर्य की किरणे त्वचा को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचती हैं बहीं  बाताबरण में फैले प्रदूषण का नंबर दूसरा आँका गया है   

शहरो में बढ़ते बायु प्रदूषण से आपको  फेफड़ों के रोगों  के अलाबा समय से पहले बुढ़ापा ,पिगमेंटेशन ,त्वचा के छिद्रों  में ब्लॉकेज आदि अनेक सौन्दर्य   समस्यायें खड़ी हो जाती हैं / ज्यादातर भारतीय शहरों में बाहनों , एयर कण्डीशन ,धुल  , धुएं आदि  से आसमान में बनने बाली  जहरीली धुंद  की चादर से माइक्रोस्कोपिक केमिकल्स की एक परत बन जाती है  जिसके  कण  हमारे छिद्रों के मुकाबले 20 गुणा ज्यादा पतले होते है जिसकी बजह से बह हमारी बाह्र्री त्वचा से  हमारे  छिद्रों में प्रवेश कर के त्वचा  की  नमी  को ख़तम कर देते हैं जिससे त्वचा में लालिमा , सूजन ,काले   दाग ,त्वचा में लचीलेपन में कमी, आ जाती हैं जिससे त्वचा निर्जीव , शुष्क , कमजोर  एवं बुझी बुझी सी हो जाती है / वायु में विद्यमान रसायनिक प्रदूषण त्वचा तथा खोपड़ी के सामान्य सन्तुलन को बिगाड़ देते है जिससे त्वचा में रूखापन, संवेदनहीनता लाल चकत्ते, मुहांसे तथा खुजली एवं अन्य प्रकार की एलर्जी एवं बालों में रूसी आदि की समस्यायें उभर सकती है।

लेकिन अगर आप शहरों में रहते हैं तो आप प्रदूषण से कभी छुटकारा नहीं  पा सकते लेकिन अच्छी खबर यह है की आप प्रदूषण से सौन्दर्य को होने बाले नुकसान को काम कर सकते हैं /

आर्युवैदिक घरेलू उपचार तथा प्राचीन औषद्यीय पौधो को मदद से प्रदूषण के सौंदर्य पर पढ़ने वाले प्रभाव को पूरी तरह रोका जा सकता है तथा आपका सौन्दर्य सामान्य रूप से निखरा रह सकता है। प्राचीन औषध्ीय पौधों को घर में लगाने से वायु में विषैले तत्वों को हटाकर वायु को स्वच्छ रखा जा सकता है क्योंकि यह पौधे वातावरण में विद्यमान हानिकारक गैसों को सोखकर घर में वातावरण को शुद्ध कर देते है। वायु प्रदूषण का सबसे खतरनाक असर त्वचा पर पड़ता है क्योंकि प्रदूषण के विषैले तत्व त्वचा पर सीधा प्रहार करके त्वचा में विषैले पदार्थो का जमाव कर देते है। वास्तव में यह विषैले पदार्थ त्वचा में खुजली के प्रभावकारी कारक होते है। वायु में विद्यमान विषैले पदार्थो का सौंदर्य पर दीघकालीन तथा अल्पकालीक प्रभाव पड़ता है त्यौहारों एवं समारोहो में चलाये़ जाने वाले पटाखों तथा अतिषबाजी से भी वायु में विषैले पदार्थ प्रवेश करते हैं जिससे त्वचा में खुजली बढ़ जाती है। वायु में विद्यमान रसायनिक प्रदूषण वातावरण में आक्सीजन को कम कर देते है जिससे त्वचा में समय से पूर्व झुर्रिया तथा बुढ़ापे के भाव झलकना शुरू हो जाते है। प्रदूषण की वजह से त्वचा पर जमे मैल, गन्दगी तथा रसायनिक तत्वों से छुटकारा प्रदान करने के लिए त्वचा की सफाई अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है। यदि आपकी त्वचा शुष्क है तो आपको क्लीजिंग क्रीम तथा जैल का प्रयोग करना चाहिए जबकि तैलीय त्वचा में क्लीनिंग दूध या फेशवाश का उपयोग किया जा सकता है। सौंदर्य पर प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए चन्दन, यूकेलिप्टस, पुदीना, नीम, तुलसी, घृतकुमारी जैसे पदार्थो का उपयोग कीजिए। इन पदार्थो में विषैले तत्वों से लड़ने की क्षमता तथा बलवर्धक गुणों की वजह से त्वचा में विषैले पदार्थो के जमाव तथा फोडे़, फुन्सियों को साफ करने में मदद मिलती है। वायु प्रदूषण खोपड़ी पर भी जमा हो जाते है। 

एक चम्मच सिरका तथा घृतकुमारी में एक अण्डे़ को मिलाकर मिश्रण बना लीजिए तथा मिश्रण को हल्के-2 खोपड़ी पर लगा लीजिए। इस मिश्रण को खोपड़ी पर आधा घण्टा तक लगा रहने के बाद खोपड़ी को ताजे एवं साफ पानी से धो डालिए। आप वैकल्पिक तौर पर गर्म तेल की थैरापी भी दे सकते है। नारियल तेल को गर्म करके इसे सिर पर लगा लीजिए। अब गर्म पानी में एक तौलिया डुबोइए तथा तौलिए से गर्म पानी निचोडने के बाद तौलिए को सिर के चारों ओर पगड़ी की तरह बांध कर इसे पांच मिनट तक रहने दीजिए तथा इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराईए। इस प्रक्रिया से बालों तथा खोपड़ी पर तेल को सोखने में मदद मिलती है। इस तेल को पूरी रात सिर पर लगा रहने दे तथा सुबह ताजे ठण्डे पानी से धो डालिए।

प्रदूषण  से जंग में पानी महत्वपूर्ण भूमिका अदा  करता है / इस दौरान आप ताजे , स्वच्छ जल का अधिकतम उपयोग कीजिये  क्योंकि पानी शरीर के विषैले पदार्थों को  बाहर निकलने  तथा  कोशिकाओं  को  पौष्टिक  पदार्थों को बनाये रखने में मदद करता है / प्रदूषण की बजह से त्वचा को हुए नुकसान की भरपाई  पानी  से आसानी से की जा सकती है ।

ओमेगा 3 तथा ओमेगा 6  फैटी एसिड्स त्वचा को प्रदूषण के दुष्प्रभाब  से बचाने में अहम भूमिका अदा  करते है / फैटी एसिड्स त्वचा में आयल शील्ड बना देते हैं जिससे त्वचा को अल्ट्रा वायलेट किरणों  से होने बाले नुकसान से सुरक्षा प्राप्त होती है ।

ओमेगा 3   फैटी एसिड्स  बर्फीले पहाड़ों  की नदियों में पाए जाने बाली  मछली ,  अखरोट , राजमा , तथा पालक में प्रचूर  मात्रा में मिलता है जबकि ओमेगा 6 चिकन ,मीट ,खाद्य तेलों ,अनाज  तथा खाद्य बीजों में पाया जाता है 

वायु में प्रदूषण तथा गन्दगी से आंखों में जलन तथा लालिमा आ सकती है। आंखों को ताजे पानी से बार-2 धोना चाहिए। काटनवूल पैड को ठण्डे गुलाब जल या ग्रीन-टी में डुबोइए तथा इसे अंाखों में आई पैड की तरह प्रयोग कीजिए। आंखों में आई पैड लगाने के बाद जमीन में गद्दे पर 15 मिनट तक आराम में शवआशन की मुद्रा में लेट जाइए। इससे आंखों में थकान मिटाने में मदद मिलती है तथा आंखों में चमक आती है।

वायु में प्रदूषण से शहरों में रहने वाले नागरिको के स्वास्थ्य तथा तन्दरूसती पर विपरीत प्रभाव पड़ता है  जिससे सांस तथा फेफड़ों की बीमारी सामान्य बन गई है। घर के अन्प्दर प्रदूषित हवा से सिरदर्द, आखें में जलन जैसी बिमारियां घर करती  है। वास्तव में सरकारी तथा वैज्ञानिक संगठनों का मुख्य लक्ष्य वर्तमान में विद्यमान प्रदूषण के उच्च स्तर को सामान्य स्तर तक लाना है जिसे हम कुछ औषधीय पौधों को मदद से प्राप्त कर सकते है। इन पौधों में एलोवेरा सबसे लाभदायक माना जाता है जो कि सामान्यतः सभी भारतीय घरों में आसानी से देखा जा सकताहै। यह घरों में आक्सीजन को प्रवाह को तेज करता है तथा प्रदूषण के प्रभाव को कम करता है। यह कार्बनडायक्साईड तथा कार्बन मोनोआक्सीईड को सोख कर आक्सीजन को वातावरण में छोड़ता है।

इसके अलावा अंजीर, बरगद, पीपल का वृक्ष स्पाईडर प्लांट भूमि हवा को साफ करने में काफी सहायक माना जाता है क्योंकि यह हवा में विद्यमान जहरीले तत्वों को सोख लेते है। इसके अलावा सान्सेवीरिया जिसे सामान्य भाषा में स्नेक प्लान्ट कहा जाता है भी वायु प्रदूषण को रोकने तथा ताजा स्वच्छ हवा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। स्नेक प्लांट को सामान्य बैडरूम में रखा जाता है तथा इसकी देखभाल भी काफी आसान तथा सामान्य है। इसके अलावा ऐरेका पाम, इंग्लिश आईवी, वोस्टनफर्न तथा पीस लिलो जैसे पौधे भी भारत में आसानी से मिल जाते है तथा पर्यावरण मित्र माने जाते है।

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