उचित मुआवजा नहीं मिला तो दे देगे जान लेकिन नहीं तोड़ने देंगे अपना मकान

दुर्गावती से संवाददाता धीरेंद्र कुमार सिंह की रिपोर्ट


दुर्गावती ( कैमूर ) ।। कल देर शाम को उचित मुआवजा नहीं मिलने से बाजार वासी और व्यवसायियों ने आक्रोश मार्च निकाला हाई कोर्ट के फटकार के बाद सरकार और एन एच आई के लोग स्थानीय दुर्गावती बाजार पहुंचे सवाल यह है कि हाई कोर्ट का नोटिस सरकार या एनएचआई को है कि व्यवसायियों को है। यह एक सवाल है जिस पर गंभीरता से विचार करना होगा जिसको लेकर दुर्गावती बाजार के व्यवसायियों ने एक आक्रोश मार्च निकाला तथा एनएचआई भू अर्जन मुर्दाबाद के नारे लगाए। बताते चलें कि दुर्गावती बाजार दुर्गावती का मुख्य बाजार है ।जहां संपूर्ण प्रखंड के प्रत्येक गांव से लोग अपने रोजमर्रा की खरीदारी करने के लिए आया जाया करते हैं ।लेकिन एनएचआई के द्वारा नेशनल हाईवे टू के निर्माणाधीन रोड को बनाने के लिए बाजार के दुकानदारों का मकान और दुकान अपने सर्वे में 2015 में ही ले लिया जिसकी जानकारी बाजार वासियों को नहीं थी। 1 सप्ताह पूर्व एन एच आई के अधिकारी तथा अंचल अधिकारी आकर बाजार वासियों से अपनी दुकान खाली करने के लिए कहने लगे ।जब बाजार वासियों को इसकी जानकारी हुई तो हैरान रह गए। बाजार वासियों को पुराने निर्माणाधीन रोड के अनुसार मुआवजा देने की बात कह रहे थे। लेकिन नए मुआवजा सरकार ने जो व्यवसायिक दर पर मुआवजा देने की बात कही थी वह भी पहले से 4 गुना देने की बात कही ।लेकिन सुनने के लिए कोई  तैयार नहीं है। यही नहीं पूर्व में जो रोड निर्माण के लिए जमीन बाजार में ली गई थी उसमें किसी का 4 मंजिला किसी का तीन मंजिला मकान खाली कराने के बाद भी एक मंजिलें का पैसा दे विभाग अपना पीछा छुड़ा लिया। वैसे भी दुकानदार जो न्यायालय में केस कर केस लड़ रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या तो तब खड़ा हो जाती है जब एक मकान का मुआवजा कुछ बनता है और उसके बगल के दुकान का मुआवजा कुछ। इस तरह से  एनएचआई और भूअर्जन के उदासीन रवैया को लेकर बाजार वासी काफी नाराज है ।उनका कहना है कि मकान हम लोग नहीं खाली करेंगे जब तक नए दर से चौगुना व्यवसायिक रेट से मुआवजा नहीं मिलता। एनएचआई बार-बार यह कह रही है कि हाई कोर्ट का आदेश है मकान खाली कराने के लिए तो उसका खामियाजा जनता क्यों भोगे। किसी पब्लिक को तो हाईकोर्ट का आदेश नहीं है। अपना गला बचाने के लिए एनएचआई और भू अर्जन बिहार सरकार का प्रशासन मिलकर इन दुकानदारों को जबरजस्ती घर से बेघर कर देने पर तुला है। बाजार वासियों का कहना है कि जब सरकार के द्वारा व्यवसायिक मुआवजा देने का विधान पहले से 4 गुना बना है तो विभागीय अधिकारी और एनएचआई को देने में क्या दिक्कत है। पैसा केंद्र सरकार दे रही है तो जबरदस्ती राज्य सरकार क्यों कर रही हैं ।इसलिए यदि हम लोगों की मांग नहीं मानी गई तो हम लोग भले ही आत्महत्या कर लेंगे लेकिन अपना मकान पुराने मुआवजे पर नहीं तोड़ने देंगे।

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