साहेब अपनी खबरिया लिखवाकर दो मैं अपने अखबार में छपवा दूं --- फारवर्ड युनिवर्सिटी के कापी पेस्ट नस्लीय पत्रकार

संगठन नहीं गैंग बना कर रहें है पत्रकारिता ?


भिवंडी।। भिवंडी शहर महानगर पालिका का चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहा है वैसे वैसे पत्रकारों की संख्या में इजाफा भी होने लगा है.लंगड़ा, लूला, काना, बहरा और अंधा सभी बेरोजगार व शिक्षाविहीन, पत्रकार का चोला पहनकर पत्रकारिता नहीं चाटुकारिता करने वाले पत्रकारों के गैंग में भर्ती होकर अखबारों में पत्रकारिता करने की लालसा पाले रखे हुए है.कुछ गैग चलाने वाले पत्रकार काई भाषाओं सहित एक दर्जन से ज्यादा अखबारों में खबरें छपवाने का ठेका नेताओं के यहाँ लेते दिखाई पड़ रहे है.एक ही हेडलाईन तथा एक ही इंटो से छपी खबर को नेता भी बड़े चाव के साथ सभी सोशल मीडिया के साइट वाट्शाप व फेसबुक पर वायरल कर शहर के अधंभक्तो के सामने परोस देते है.वही नेता अब बड़े आश्चर्य से पत्रकरों पर तंज कसते हुए उन्ही से पूछने लगे है कि तुम्हारे गैग कितने सदस्यों वाली है तुम किस गैंग से तालुक रखते हो ?
       
सोशल मीडिया के यूट्यूब पर न्युज जैसा विडियो बनाकर लोड करने वाले स्वय घोषित पत्रकार गल्ली, मोहल्ला में लगी हाथ गाडियों पर अंडा बेच रहे व्यक्ति से अंडा खाकर उसके तेल व कढ़ाई की मोबाइल से विडियो शूटिंग कर उनको पुलिसिया रौब की धमकिया देते हुए बिना पैसे दिये निकल जाने की अनेक कहानियाँ आपने सुनी होगी। लाॅक डाउन के दरमियान इन्ही सोशल मीडिया के स्वयं घोषित पत्रकारों ने मास्क बनाकर बेचने वाले व्यापारियों तथा पेट्रोल पंप के मालिकों को न्युज दिखा देने की धमकी देकर रात में चोरी व डैकती करने वाले दो पहिया वाहन चालको को पेट्रोल दिलाने जैसे अपराध कर लाखों रुपये का वारा निवारा कर खाकी से ताकत दिखवाने की बात भी आपने सुना होगा।

शहर के नुक्कड़ों व मयखानों से आज पत्रकारिता करने का दौर निकल पड़ा है.शहर के चार बेरोजगार नुक्कड़ों पर इकठ्ठा होकर चाय की दुकान पर पूरा दिन बैठकर बीता देते है‌.शाम ढलते इनके गैग का मुखिया अपने पियादो को न्युज लिखकर दे देता है फिर पियादे उनकी खबर को अपने अपने अखबारों में बाई नेम फारवर्ड कर छपवा देते हैं जिसके कारण पियादे व गैंग मुखिया दोनों की दुकानदारी चलती रहती है.पियादे व गैग का मुखिया के बीच फंसी पत्रकारिता का दौर आज निम्म स्तर पर पहुँच चुका है। ऐसे पियादे जो शिक्षाविहीन है उन्ही के हाथों में आज कलम है जिसके कारण अब अखबारों का भी सौदा होने लगा है।

कलम के धनी व प्रतापगढ़ के यदुवंशी शेर, भूतपूर्व पत्रकार सुरेश यादव ने सोशल मीडिया पर ऐसे पत्रकारों पर तंज कसते हुए लिखा है कि  ------

हकाले गये फारवर्ड युनिवर्सिटी के कापी पेस्ट नस्ल के पत्रकार :

भिवंडी से दो प्रमुख दैनिक अखबार सहित कुछ और दैनिक अखबार मे भिवंडी रिपोर्टर की जगह रिक्त है, (क्यो है आप सभी को पता है ) उन्ही दैनिक मे भिवंडी से रिपोर्टर बनने के लिए कुछ लोग कार्यालय पहुंच गए एक दैनिक अखबार ने तो उन पत्रकार से  सिर्फ पांच मिनट बात किया और उनकी बात करने की शैली से अखबार प्रबंधन समझ गया कि एक को भी लिखने का सहूर नही है सब फारवर्ड युनिवर्सिटी के बिल्ला धारी है, लिखा लिखाया फारवर्ड करने के तेज तर्रार पत्रकार है, अखबार ने  सभी को न कहते हुए वापस भेज दिया, भिवंडी मे फारवर्ड युनिवर्सिटी के पत्रकार की संख्या ज्यादा है जो 'कापी पेस्ट अखबार नेक्स्ट" की तर्ज पर धडाधड न्यूज भेज कर आपस मे ऐसे गलबहिया कर चाय की चुस्की लेते हुए एक-दूसरे के बेवकूफी पर पर्दा डाल ठहाके लगाते है, पाठक या जनता देखते ही समझ जाती है की सभी की डिलीवरी एक जगह से हुई है देहाती भाषा मे कहे तो "सब एक ही खपड़ी का नहवावा अहे"

रिपोर्टर

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