पशुतस्करी मामले में मिर्जामुराद थाना प्रभारी लाइनहाजिर

वाराणसी :  प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में थानों की अवैध वसूली रुकने का नाम नही ले रहा। आखिर वसूली रुके भी कैसे जब थानों के 'कारखास' का तिलिस्म टूटा ही नही।'बड़े साहब' की आमदनी को बढ़ा अपने पद को बनाए रखने हेतु हाइवे से लगायत जिले के विभिन्न थानों पर तैनात इन कारखासो की 'खासियत' अपने आप महकमा में चर्चा का विषय बनी रहती है।बेलगाम हुए वसूली करने वाले सरकार के भस्ट्राचार मुक्त समाज के दावे का हवा निकाल छवि धूमिल कर रहे है।पशुतस्करो से सेटिंग के बाबत वायरल हुए आडियो में बुधवार की रात एसएसपी आनन्द कुलकर्णी ने मिर्जामुराद थाना प्रभारी विश्वजीत प्रताप सिंह को लाइनहाजिर करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच बैठा दी है।सीओ कैंट डा.अनिल कुमार मामले की जांच कर रहे है, जल्द ही अन्य पुलिसकर्मियों पर गाज गिरेगी।

एसएसपी के कारवाई से हाइवे पर पशुतस्करी में लिप्त कर्मियों में हड़कंप मचा है।यह शख्स भी थाना पर तैनात पुलिसकर्मियों जैसा ही रहता है। बस यह सिपाही थानेदार का खास बन कारखास हो जाता है। ऐसा नही है कि इस खास सिपाही की अलग से कोई पोस्टिंग हो या थाना व चौकी में इसके लिए कोई पद होता है। हां बस इतना जरूर रहता है कि इस सिपाही की संतरी ड्यूटी नही लगती। अक्सर इस सिपाही की रवानगी रात्रि गश्त या थानेदार के हमराही में ही रहती है। पशुतस्करी, डग्गामार वाहन, पेड़ कटाई, अवैध खनन, खुफिया गांजा-शराब, कबाड़ी व कोयले की अवैध दुकान से लगायत हर अवैध धंधे का लेखा-जोखा इनके पास रहता है। थानेदार के सामने कारखास बनने वाले 'एक्जाई' की बोली लगा यह पद प्राप्त करते है। थानेदार के हाथ देने पर भले बस न रुके, पर कारखास के हाथ देने पर क्या मजाल जो बस न रुके। अब थानों में एक नही बल्कि दो-तीन 'कारखास' बनाए जा रहे है, जो अलग-अलग विभागों का हिसाब रखते है।

रिपोर्टर

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