
ढाबों के कारण शहर व आस- पास के गाँवों में कुत्तो का आतंक बढ़ा।
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Dec 12, 2021
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भिवंडी।।भिवंडी शहर व ग्रामीण परिसर की मुख्य सड़कों अथवा आंतरिक गलियारे सहित सभी जगहों पर इन दिनों कुत्तों का आतंक बना हुआ है। इनकी संख्या झुंडों में होने कारण नागरिकों के लिए एक बड़ा खतरा बना रहता है। इसके आलावा इनके कांटने की घटनाएं भी दिनोदिन बढ़ती जा रही है। गत माह ऐसे एक आवारा कुत्ते के चपेट में एक पत्रकार की औरत आ गयी थी। जिन्हें आवारा कुत्तों ने काट लिया था। शहर व ग्रामीण परिसर की मुख्य बाजार हो या चौक-चौराहे, मोहल्ले हो या ढ़ाबा परिसर, सभी जगह आवारा कुत्तों ने अपना बसेरा बना लिया है। इसके आलावा हाइवे के किनारे चल रहे अवैध ढाबों के कारण आस-पास गाँवों में इनकी संख्या बहुत तेजी के साथ बढ़ रही है। सड़कों पर जब कुत्ते लड़ रहे होते है तो उस दरमियान राहगीरों को इनके बीच से जाना बहुत मुश्किल काम होता है। साथ ही सड़कों पर बैठे, घूम रहे कुत्ते राहगीरों, मोटरसाइकिल सवारों को भौकतें हुए काटने के लिए दौड़ा लेते हैं। इनके चपेट में आऐ दिन नागरिक व बच्चे आ रहे है। वही दूसरी तरफ इनकी वजह से दररोज सड़क हादसे भी हो रहे हैं। बढ़ती संख्या को देखते हुए नागरिकों में संक्रमण फैलने का खतरा भी बना रहता है।भिवंडी के वंजारपट्टी नाका से पडघा व आंबाडी, कोन गांव, काल्हेर गांवों में कुत्तों ने हाहाकार मचा कर रखा हुआ है। यूं तो हर इलाके में आवारा कुत्तों का खौंफ है। शाम होते ही दर्जनों की संख्या में कुत्ते ढाबों के आस- पास मंडराने लगते है. इन ढाबों से निकले वाले बेस्टेट खाना खाकर वही सड़क के किनारे सो जाते है। ऐसे आवारा कुत्तों की संख्या में दिनोंदिन बढ़ोत्तरी हो रही है। इनकी संख्या रोकने के लिए महानगर पालिका अथवा ग्राम पंचायत प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। जबकि शासन के निर्देशानुसार इनकी रोकथाम करने की जिम्मेदारी महानगर पालिका व पशु चिकित्सा विभाग को दी गयी है। कई नागरिकों की माने तो कभी कभी ढाबों पर समुचित भोजन नहीं मिलने के कारण ऐसे झुंडबाज कुत्ते गांव में घुस जाते है और आंतक मचाना शुरू कर देते है। जिस पर कार्रवाई करने के लिए अत्यंत आवश्यकता है।
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