संक्रमण की संभावित लहर को देखते हुए सभी के लिए प्रीकॉशनरी डोज अनिवार्य

• कोविड टीकाकरण अभियान के साथ-साथ जिले में कोविड जांच की गयी तेज 

• प्रीकॉशनरी डोज शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पुन: मजबूत करता है  

आरा ।। देश दुनिया में एक बार फिर कोरोना संक्रमण धीरे धीरे फैलने लगा है। परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय ने भी देश के कई हिस्सों में कोविड संक्रमण के मामले दर्ज किये गये हैं। जिसको देखते हुए राज्य सरकार ने 18 से उपर उम्र वर्ग के लाभार्थियों के लिये प्रीकॉशनरी डोज देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। टीकाकरण अभियान के साथ-साथ जिले में कोविड जांच भी तेज कर दी गई है। साथ ही, उन समूहों के टीकाकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिन्हें इस संक्रमण से ग्रसित होने का जोखिम अधिक है। इसमें बुजुर्ग तथा गंभीर रोगों से ग्रसित लोग शामिल हैं। जिन लोगों ने कोविड टीके की पहली व दूसरी डोज ले ली है और अब प्रीकॉशनरी डोज की अवधि हो चुकी है, उन्हें प्रीकॉशनरी डोज अवश्य ले लेना चाहिए। ताकि, उन्हें संक्रमण की संभावना से बचाया जा सके। 

प्रीकॉशनरी डोज शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाता है मजबूत : 

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया, बुजुर्गों को कोविड संक्रमण अधिक प्रभावित करता है। इसलिए टीकाकरण के साथ कोविड अनुरूप व्यवहार अपनाना जरूरी है। वैसे बुजुर्ग जिन्होंने अपना प्रीकॉशनरी डोज नहीं ली है, वे अनिवार्य रूप से अपना डोज ले लें।  रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण एक प्रभावी तरीका है। कई बार शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए वैक्सीन की एक से अधिक खुराक लेनी पड़ती है। इसे बूस्टर डोज कहते हैं, जिसे सरकार ने प्रीकॉशनरी डोज का नाम दिया है। शुरुआती डोज में मिली इम्युनिटी के धीरे धीरे कमजोर होने पर प्रीकॉशनरी डोज शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पुन: मजबूत करता है। बूस्टर डोज की मदद से इम्युनिटी लेवल को अधिक समय तक बरकरार रखा जा सकता है। 

स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है प्रीकॉशनरी डोज : 

डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया, प्रीकॉशनरी डोज के तहत वही वैक्सीन दी जाती है जो पूर्व में लगायी गयी है। कोविन पोर्टल से मोबाइल फोन पर मैसेज भी भेजा जाता है। ताकि लाभार्थियों को अपने तीसरे डोज का समय पता चल सके। अमूमन प्रीकॉशन डोज दूसरी खुराक के नौ माह पूरे होने पर दिये जाते हैं। शोध के मुताबिक ओमिक्रॉन के खिलाफ लड़ाई में दो डोज कम हैं। इसके लिए प्रीकॉशनरी डोज से अधिक सुरक्षा मिलती है। प्रीकॉशनरी डोज के बाद कोविड के लक्षण के खिलाफ 75 प्रतिशत तक की सुरक्षा देखी गयी है। जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रीकॉशनरी डोज उपलब्ध है। जहां इच्छुक लाभार्थी अपना निर्धारित डोज ले सकते हैं।

प्रीकॉशनरी डोज का नहीं हैं नकारात्मक प्रभाव : 

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार प्रीकॉशनरी डोज लेने के किसी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव देखने को नहीं मिले हैं। बूस्टर डोज लेने के बाद सामान्य समस्याएं जैसे शरीर में दर्द, थकान व बुखार आदि हो सकता है। जो एक से दो दिन में स्वत: ठीक हो जाता है। इसे देख कर खुद को बीमार नहीं समझें। इसका अर्थ यह है कि शरीर कोविड वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो रहा है। ऐसे लोग जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक हो गयी है तथा अधिक गंभीर रोग से ग्रसित हैं उन्हें डॉक्टरी सलाह के साथ वैक्सीन की तीसरी खुराक यानि बूस्टर डोज लेनी चाहिए। एक से अधिक खुराक लेनी पड़ती है। इसे बूस्टर डोज कहते हैं, जिसे सरकार ने प्रीकॉशनरी डोज का नाम दिया है। शुरुआती डोज में मिली इम्युनिटी के धीरे धीरे कमजोर होने पर प्रीकॉशनरी डोज शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पुन: मजबूत करता है। बूस्टर डोज की मदद से इम्युनिटी लेवल को अधिक समय तक बरकरार रखा जा सकता है।

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