गर्भावस्था में एनीमिया प्रबंधन के लिये नियमित एएनसी जांच बेहद जरूरी

- प्रत्येक माह की 9वीं तिथि को जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में होती है गर्भवती महिलाओं की जांच

- प्रसव पूर्व जांच के प्रति महिलाओं की जागरूकता एनीमिया रोकथाम में सहायक

आरा ।। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है। लेकिन, सबसे जरूरी बात यह रहती है कि इस दौरान गर्भवती महिलाएं किसी गंभीर रोग की चपेट में न आ जाएं। इन्हीं बीमारियों में से एक है एनीमिया। जिसके कारण न केवल गर्भवती महिलाओं को बल्कि उनके गर्भ में पल रहे बच्चों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं, कई मामलों में एनीमिया के कारण प्रसव के दौरान जटिलतायें भी बढ़ जाती है। जिसके कारण अधिक रक्त स्राव से गर्भवतियों की मौत की भी संभावना होती है। इसलिये गर्भावस्था में बेहतर शिशु विकास एवं प्रसव के दौरान होने वाली रक्त स्राव प्रबंधन के लिए महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में खून होना आवश्यक होता है। एनीमिया प्रबंधन के लिए प्रसव पूर्व जांच के प्रति महिलाओं की जागरूकता ना सिर्फ एनीमिया रोकथाम में सहायक होती है बल्कि सुरक्षित मातृत्व की आधारशिला भी तैयार करती है। 

पूर्व जांच नहीं कराना एनीमिया का प्रमुख कारण :

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार जिले में 15 से 49 वर्ष के मध्य आयु की 68.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। गर्भावस्था में 4 प्रसव पूर्व जांच नहीं कराना एनीमिया का प्रमुख कारण है। आंकड़ों के अनुसार जिले में कुल 33.5 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं ही 4 प्रसव पूर्व जांच कराती हैं। जो वर्ष 2015-16 में 16.1 प्रतिशत थी। विभागीय प्रयासों और लोगों में जागरूकता के कारण प्रसव पूर्व चार एएनसी जांच में 17.4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

हर माह सरकारी अस्पतालों में होती गर्भवतियों की जांच :

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत प्रत्येक माह की 9वीं तिथि को सभी सरकारी अस्पातलों में शिविर का आयोजन किया जाता है। जिसमें गर्भवती महिलाओं में प्रसव पूर्व नियमित रूप से विभिन्न जांच की जाती है। जिसके आधार पर गर्भवतियों को एनेमिक या गंभीर एनेमिक होने की जानकारी भी जाती है। एनेमिक महिलाओं को तीन श्रेणी में रखा जाता है। 10 ग्राम से 10.9 ग्राम खून होने पर माइल्ड एनीमिया, 7 ग्राम से 9.9 ग्राम खून होने पर मॉडरेट एनीमिया एवं 7 ग्राम से कम खून होने पर सीवियर एनीमिया होता है। गंभीर एनेमिक की श्रेणी की गर्भवतियों को प्रथम रेफरल यूनिट में ही प्रसव कराने की सलाह दी जाती है। ताकि, प्रसव की जटिलताओं से आसानी से निपटारा पाया जा सके।

जागरूकता से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी संभव:  

गर्भवती महिलाओं को सामान्य से अधिक आयरन की जरूरत होती है ताकि बढ़ते शिशु के लिए शरीर में खून बनता रहे। इसलिये आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं और आशा दीदियों के द्वारा सामुदायिक स्तर पर गर्भवती महिलाओं को बेहतर खान-पान की जानकारी दी जाती है। ताकि, एनीमिया के विषय में संपूर्ण जानकारी से प्रसव के दौरान होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सके। गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में आयरन युक्त खाद्य पदार्थों के अलावा, मौसमी फल, स्किनलेश चिकन, मछली, अच्छी तरह से पके अंडे, दाल, हरे पत्तीदार सब्जियां, फलियां, मेवा और अनाज का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।

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