विश्वविद्यालय में बायोमेट्रिक मशीनें खराब, कर्मचारियों के सामने उपस्थिति दर्ज कराने में समस्या उत्पन्न
- देवराज मिश्र, ब्यूरो चीफ अयोध्या
- Aug 04, 2022
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लागत से तीन गुना अधिक भुगतान कर खरीदी गई हैं बायोमेट्रिक मशीनें ...
मिल्कीपुर, अयोध्या ।। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज में कार्यरत अधिकारियों कर्मचारियों की उपस्थिति हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विभिन्न विभागों और कार्यालयों में लाखों रुपए की लागत से लगवाई गई थंब इंप्रेशन मशीनें खराब हो गई हैं। जिसके चलते विश्वविद्यालय कर्मियों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने मे भारी समस्या पैदा हो गई है। उधर विश्वविद्यालय के कार्यालयों में लगाई गई थंब इंप्रेशन मशीन पर उपस्थिति दर्ज कराने के बाद ही विश्व विद्यालय कर्मियों को वेतन भुगतान किए जाने संबंधी विश्वविद्यालय प्रशासन का आदेश विश्वविद्यालय कर्मियों को खौफ खाए जा रहा है। बताते चलें कि कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज में जेम पोर्टल के माध्यम से ईएसएसएल कंपनी 65 बायोमेट्रिक मशीन 17 लाख 6 हजार रुपए की लागत से खरीदी गई थी। मशीनों की खरीदारी में भी वायर खरीदारी की भूमिका निभाने वाले नवीन सिंह द्वारा अधिकतम मूल्य लगभग 10 हजार रुपए की लागत वाली प्रति मशीन के एवज में लगभग 25 से 26 हजार रुपए का भुगतान करते हुए जबरदस्त खेल, खेल दिया गया। अब उक्त बायोमेट्रिक मशीनों का आलम यह रहा कि मात्र 2 माह के अंदर एक के बाद एक मशीनों के खराब होने का सिलसिला शुरू हो गया है। जिसके चलते अब विश्वविद्यालय कर्मियों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए भी जूझना पड़ रहा है। इस संबंध में विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी आशुतोष सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के निदेशक प्रशासन एवं परीक्षण डॉ ए के सिंह द्वारा बायोमेट्रिक उपस्थिति को लेकर आदेश जारी किया जा चुका है कि अब विश्वविद्यालय कर्मियों को वेतन भुगतान बायोमेट्रिक हाजिरी के आधार पर ही किया जाएगा। उन्होंने बताया कि फिलहाल इस संबंध में वार्ता की जाएगी और खराब मशीनों को ठीक कराया जाएगा। वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक नीरज श्रीवास्तव का कहना है कि यह मामला विश्वविद्यालय प्रशासन का है अब इस प्रकरण में निर्णय विश्वविद्यालय प्रशासन को लेना है, कि वह कर्मचारियों का वेतन भुगतान किस पद्धति से करेंगे। फिलहाल हमारे कार्यालय को साक्ष्य सहित वेतन बिल मिलने के उपरांत भुगतान किया जाएगा। उधर लागत से 3 गुना अधिक का भुगतान कर खरीदी गई इन बायोमेट्रिक मशीन को लेकर अब विश्वविद्यालय सहित क्षेत्र में चर्चा का बाजार भी गर्म हो गया है। लोगों का मानना है कि यदि इसकी जांच भी तो बड़ा घोटाला उजागर होने के आसार प्रबल हैं।
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