पड़ताल', हल्ले द्वारिकपुर की, अत्यन्त निन्दनीय है अराजकता का माहौल

मिल्कीपुर, अयोध्या ।। थाना कोतवाली इनायत नगर क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले गांव हल्ले द्वारिकापुर के ग्राम प्रधान देवशरण की गोली मारकर हत्या किया जाना निश्चित रूप से अत्यन्त ही निन्दनीय व दुःखद घटना है । परमात्मा प्रधान देवशरण यादव जी की आत्मा को परम शान्ति व उत्तम लोक प्रदान करें यही कामना ।

परन्तु यादव जी के अति उत्साही समर्थकों द्वारा की जा रही खुले आम गुण्डई और आश्चर्यजनक रूप से प्रशासन का मौन भी अत्यन्त ही निन्दनीय है । हत्या किसी एक परिवार के व्यक्ति ने किया, जबकि प्रधान जी के समर्थकों द्वारा गांव के सभी सात ब्राम्हण परिवारों के घर जला कर, उन्हें उनके बीबी - बच्चों सहित बेघर कर दिया जाना कहाँ का न्याय है ? आखिर हम किस युग में जी रहे हैं । अब तो ऐसा लग रहा है कि प्रधान जी के अतिउत्साही, मनबढ़ समर्थक गुण्डों की चले तो वो पूरी धरती ही ब्राह्मण विहीन कर दें । जब संविधान में पिता की सजा पुत्र तक को देने का प्रावधान नही है तो प्रधान समर्थकों द्वारा कानून की धज्जियां उड़ाकर ये कैसा इन्साफ किया जा रहा है ? शेष परिवार के लोगों का ब्राम्हण होना छोड़कर, अन्य कोई गुनाह हो तो कृपया बताया जाये । गांव के पचासों जानवर लापता हैं, कई मोटरसाइकिलें व ट्रैक्टर ट्राली आदि को भी आग लगा दी गई है । अराजकता, आगजनी, आतंक फैलाकर, प्रधान यादव जी के समर्थक खुद को ही उच्चतम न्यायालय मानकर चल रहे हैं । समाचार संकलन करने जाने वाले पत्रकारों पर भी हमले हो रहे हैं, पुलिस प्रशासन अन्धा बहरा व गूंगा प्रतीत होने लगा है । जब पीड़ित पत्रकार थाने पर गुण्डों के खिलाफ एफआईआर लिखाने जाता है तो उसकी शिकायत तक स्वीकार नहीं कि जाती । मज़बूर होकर जिले की पत्रकार बिरादरी को धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है ।

प्रधान जी के परिजन शासन से अपनी कुछ बेतुकी मांग को लेकर बैठे हुये हैं और मांग न पूरी होने तक लाश का अन्तिम संस्कार नहीं करने का फरमान जारी कर चुके हैं । उनके इस कृत्य से ऐसा लगता है जैसे परिजन अपराधी को सजा दिलाने की कम, ग्राम समाज की जमीन पर कानूनन कब्जा, उसी जमीन की बाउंड्री करवाने की फिराक में अधिक लगे हैं । अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए मृत शरीर व उनकी आत्मा को क्यों तकलीफ दे रहे हैं ? यह भी चिन्ताजनक है । प्रतीत होता है की परिजनों द्वारा लाश रखकर, उसका सौदा किया जा रहा है । 

जबकि पड़ताल से पता चला है कि स्व. प्रधान देवशरण यादव जी भी कोई बहुत धर्मात्मा पुरूष नहीं थे, न ही हत्या आरोपी ईश्वर दत्त मिश्र कोई पेशेवर अपराधी हैं । गत तेईस जून को घटना वाले दिन भी प्रधान यादव जी अपने इन्हीं पालतू गुण्डों के साथ आरोपी के घर उसे मारने गये थे । सौभाग्यवश हत्या आरोपी ईश्वर दत्त मिश्र अपने घर पर नहीं मिले वरना शायद प्रधान जी भी वही करने गये थे जो उनके साथ हुआ ।

जनपद के जनप्रतिनिधियों व प्रशासन को चाहिये कि जो हत्या का आरोपी है, दोष सिद्ध होते ही उसे कठोर से कठोर सजा दी जाय परन्तु उनके परिजनों, निर्दोष गांव वालों, उनकी खून पसीने से कमाई सम्पति व उनके जानवरों को प्रधान समर्थक गुण्डों द्वारा नुकसान पहुंचाने से रोका जाय । प्रधान के अतिउत्साही गुण्डे समर्थकों को भी उनके अपराधों के लिए दण्डित किया जाय, जिससे कानून को हाथ में लेकर न्याय मांगने का यह घृणित चलन समाप्त हो सके ।

उक्त घटना में जनपद के तथाकथित यशस्वी जनप्रतिनिधियों का मौन भी समाज के लिए चिन्ता का विषय है । बीकापुर विधायक प्रतिनिधि डॉक्टर अमित सिंह चौहान जी का विधानसभा क्षेत्र होने के कारण उनका तो विशेष दायित्व बनता है कि दोषी को दण्ड मिले, किसी निर्दोष को प्रताड़ित न किया जाय और अराजकता फैलाने वाले गुण्डों को भी दण्ड मिले । परन्तु आश्चर्यजनक रूप से विधायक बीकापुर का आलस्यपूर्ण गैरजिम्मेदाराना रवैया क्षेत्र वासियों के लिए चिन्ता का विषय बना हुआ है । फिलहाल जो भी हो रहा है सूबे में स्वच्छ प्रशासन का नारा देने वाली सरकार के लिए व एक सभ्य समाज के लिए भी निश्चित रूप से अत्यन्त दुःखद एवं चिन्ता का विषय है ।

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