खबर का दिखा असर-जिला चिकित्सा पदाधिकारी ने किया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण

दोषी डॉक्टरों के विरुद्ध कार्यवाही करने का दिया आश्वासन


जिला संवाददाता कुमार चन्द्र भूषण तिवारी की रिपोर्ट


कैमूर ।। जिला के रामपुर प्रखंड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का जिला चिकित्सा प्रभारी ने निरीक्षण किया और दोषी डॉक्टरों के विरुद्ध कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है ।

आपको बताते चलें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते बुधवार को, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत, सभी गर्भवती महिलाओं का जांच के लिए शिविर लगाया गया था। जिसमें गर्भवती महिलाओं के लिए समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण, दो महिला धूप में खड़े रहने व पानी ना मिलने की वजह से, चक्कर आने के कारण बेहोश हो गई थी। जिसे उपस्थित महिलाओं द्वारा अन्यत्र जगह से पानी लाकर पानी के छींटे मारे गए,और पानी पिलाया गया। जिससे महिलाओं को बचाया जा सका। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के इस अमानवीय कृत्य  के लिए प्रखंड वासियों द्वारा निंदा किया गया, तो दैनिक समाचार पत्रों के माध्यम से कलमकारों द्वारा, विभाग के संबंधित पदाधिकारियों तक मामले को पहुंचाया गया। जिसके तहत मामले को संज्ञान में लेते हुए, जिला चिकित्सा प्रभारी मीना कुमारी द्वारा, गुरुवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुर का निरीक्षण किया गया। पत्रकारों से वार्तालाप के दौरान उन्होंने बताया कि हमें न्यूज पेपर के माध्यम से इस अमानवीय कृत्य की जानकारी मिली। जिसकी वजह से मैं निरीक्षण करने के लिए पहुंची हुँ। उन्होंने बताया कि पीएसी प्रभारी सहित स्वास्थ्य मैनेजर को भविष्य में शिविर के दौरान महिलाओं के लिए टेंट,बैठने की कुर्सी व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने का सख्त निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही अन्य बिंदुओं पर निरीक्षण कर मैनेजर प्रभारी को कई दिशा निर्देश दिया गया है। इस दौरान डीपीएम ऋषिकेश जायसवाल, पीएसी प्रभारी डॉ संजय कुमार, स्वास्थ्य मैनेजर मोहम्मद इमरान, डॉ प्रभात कुमार सहित कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे। अंततः उन्होंने कहा कि अभी जांच प्रक्रिया जारी है, इस अमानवीय कृत्य के लिए जो भी दोषी पाया जाएगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। अब देखना यह है कि जिला चिकित्सा प्रभारी द्वारा कहां तक दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही किया जा रहा है। क्योंकि अक्सर यहां यही देखने को मिलता है, कि मामला जब ताजा होता है तो इस तरह का बात किया जाता है। पर कुछ समय बीतने के बाद मामले को ठंढे  बस्ते में डाल दिया जाता है।

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