माता का स्थान पिता से 10 गुना अधिक पूज्यनीय है - 1008 स्वामी श्री विजयानंदपुरी जी महाराज

भिवंडी।।भिवंडी में कामतघर के ठाकरापाड़ा रोड पाइप लाइन स्थित स्वामी श्री गम्भीरानन्द आश्रम के मैत्रेयी महिला परिषद द्वारा महिला सत्प्रेरणा दिवस का आयोजन किया गया था‌। जिसकी अध्यक्षता उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित कैलाश आश्रम के द्वादश पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर आचार्य 1008 स्वामी श्री विजयानंदपुरी जी महाराज किया। ब्रह्मचारी श्री प्रेमस्वरूप चैतन्य जी महाराज के मार्गदर्शन में आयोजित महिला सत्प्रेरणा दिवस कार्यक्रम में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यअतिथि के तौर पर कल्याण महिला समिति की सदस्य वंदना मित्तल एवं कोनगांव स्थित पूजा नर्सिंग होम की डॉ. चित्रा सुतार मौजूद थी।

इस अवसर पर ज्ञान मकरंद के विद्यार्थियों एवं आश्रम में विशेष सहयोग करने वाले साधकों सहित मैत्रेयी महिला परिषद की महिलाओं को प्रमाण पत्र देकर महाराज श्री एवं मुख्य अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता आर.आर.त्रिपाठी द्वारा महाराज एवं रजिता बेती द्वारा वंदना मित्तल और नागलक्ष्मी आडम द्वारा डॉ. चित्रा सुतार का स्वागत किया गया। इस अवसर पर आचार्य 1008 स्वामी श्री विजयानंदपुरी जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि माता का स्थान हमेशा पिता से 10 गुना अधिक पूज्यनीय है| सनातन परंपरा में नारी शक्ति का बड़ा आदर किया जाता है। जिसके कारण माता को पिता से 10 गुना अधिक पूज्यनीय माना जाता है। लोग हर जगह से ज्ञान ले रहे हैं| ज्ञान जहां से प्राप्त करो वही गुरु है| लेकिन उसमें तीन गुरु ही मुख्य हैं| जिसमें प्रथम गुरु का स्थान सिर्फ माता का है। द्वितीय गुरु का स्थान पिता का और तीसरे गुरु का स्थान शास्त्र का उपदेश देने वाले गुरु का है। माता को इसीलिए मातृमान गुरु माना जाता है।माता तो सबकी होती हैं। लेकिन जिसकी माता अत्यंत प्रसंशनीय है और वह शास्त्र उपदेश देने वाली हैं| माता अपने बच्चों को बाल्यकाल से ही शुभ संस्कार देती हैं। ऐसे पुरुष परमात्मा को जान सकता है। बाल्यावस्था से जिसे शुभ संस्कार नहीं मिला है वह परमात्मा को नहीं जान सकता है। माता शक्ति हैं माता का बहुत आदर है। बिना शक्ति के कोई व्यक्ति अथवा राष्ट्र कभी आगे नहीं बढ़ सकता है| इसी लिए हमारी परंपरा में मातृ शक्ति का बहुत महत्व है। 

श्री गम्भीरानन्द आश्रम द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यो की प्रशंसा करते हुए महाराज श्री ने कहा कि परमपूज्य स्वामीजी महाराज के मार्गदर्शन में संस्कार सुधारने के लिए काम किया जा रहा है। महिला सत्प्रेरणा दिवस को लेकर कहा कि प्रेरणा तो सबको मिलती है। कोई व्यक्ति काम वही करेगा जो उसके अंदर संस्कार होगा। उन्होंने कहा कि परमात्मा प्रेरणा सबको देता है लेकिन जिसका जैसा संस्कार होता है। उसे वैसा ही प्रेरणा मिलता है| जिसका जैसा संस्कार है परमात्मा की प्रेरणा भी वैसे ही मिलती है उन्होंने कहा कि सभी लोगों को संस्कार सुधारने की जरूरत है और संस्कार महापुरुषों के सानिध्य में आने से सुधरते हैं उन्होंने विद्यादान को सबसे बड़ा दान बताते हुए कहा कि विद्या से ही पूरे जीवन में तृप्ती मिलती है। समारोह की मुख्य अतिथि वंदना मित्तल एवं डॉ. चित्रा सुतार ने कहा कि बच्चों को संस्कार घर से देना चाहिए| बच्चों को आधुनिक शिक्षा देना आवश्यक है| लेकिन उससे कहीं अधिक उनमें संस्कार देने की आवश्यकता है जो सिर्फ गुरुकुल में संभव है| इस अवसर पर मैत्रेयी महिला परिषद की कई सदस्यों ने अपना विचार व्यक्त किया कार्यक्रम को सफल बनाने में ब्रह्मचारी शरणागतजी, गंगाधरजी, श्रद्धा माता जी सहित प्रो. कुलदीपसिंह राठौर, श्रीनिवास कोंगारी,रवि बिटला, राजेश झा, डॉ. अल्पेश चौधरी, राम अजय सिंह,लालजी सिंह,श्यामजी गुप्ता, मैत्रेयी महिला परिषद की अध्यक्ष दीपमाला विश्वकर्मा,निशा पांडेय,रेनू सिंह,रजिता बेती,उषा झा,नागलक्ष्मी आडम,संगीता यादव,वर्षा अलुवाला,सरोजा गुप्ता एवं डॉ. लावण्या एनुगुला सहित अन्य महिलाओं ने विशेष सहयोग किया।

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