उत्तर भारतीय नेता अपने फायदे ले लिए उत्तर भारतीय समाज को कर रहे है गुमराह
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Jan 27, 2023
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भिवंडी।भिवंडी शहर मजदूरों का शहर माना जाता है यहां पर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों से भारी मात्रा में मजदूर व गरीब तबका परिवार आकर झुग्गी झोपड़ियों में रहकर विभिन्न क्षेत्रों में मेहनतकश मजदूरी करते हुए शहर को विकास की ओर ले जाते है। इन्हीं के बीच कुछ छुट भैया नेता भी सक्रिय है जो अपने फायदे के लिए कभी भी इनकी भीड़ इकट्ठा कर अपना उल्लू सीधा कर लेते है। भीड़ रूपी इन्हीं मजदूरों के परिवार पर मुसीबत पड़ने पर यही छुट भैय्या नेता इनसे अपना मुंह फेर लेते है। अभी हाल में ही शहर में दो दर्दनाक घटनाएं घटित हुई है। यहां दो मासूमों को हवस का शिकार बनाकर ज़ालिमों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। दोनों पीड़ित परिवार उत्तर भारतीय समाज से तालुक रखते है। इनके परिवार को सांत्वना देने के लिए कोई भी उत्तर भारतीय नेता उनके झोपड़ियों तक नहीं पहुँचा और ना ही इन्हें याद किया और ना ही इनकी कोई मदद। ताज्जुब की बात है कि कुछ कलमकार भी इन सड़क छाप छुट भैय्या नेताओं की चमचागीरी करने में लगे रहते है जिसके कारण छुट भैया नेता इन्हें मंच पर बुला कर सम्मान कर देते है। सम्मान के भूखे भेड़िये किस्म के लोग इन्हें भी उन मासूमों पर किये गये अत्याचार याद नहीं आया सिर्फ सम्मान लेने में व्यस्त रहे। शहर के तमाम पाटियों में उत्तर भारतीय समाज के मसीहा कहलाने वाले नेता आपको सफेद पोश में दिखाई पड़ते है। कोई तिलक लगाकर उत्तर भारतीयों का मददगार बनने का दावा करता है तो कोई अन्य तरीके से समाज को बहकाने और चुनाव के समय इनकी भीड़ इकट्ठा कर इस्तेमाल कर लेता है। पार्टियों के लिए वोट बैंक बना उत्तर भारतीय समाज आज भी अनेक समस्याएं से घिरा हुआ है। तमाम पार्टियां अपने संगठन में कुछ उत्तर भारतीय समाज के चतुरबाज लोगों को चुनाव एजेंट बना कर इन मजदूरों के बीच छोड़ देता है। जिसके कारण मजदूरों की जमकर खरीद बिक्री की जाती है। किन्तु चुनाव बीत जाने के बाद इनका कोई मददगार हितैषी नहीं होता है।
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